हिमांशु शर्मा, चंडीगढ़ दिनभर: मनीमाजरा में शुरू किया गया 24/7 पायलट प्रोजेक्ट जिसका उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 4 अगस्त 2024 को किया था, अब गंभीर विवादों और विजिलेंस जांच के घेरे में आ चुकी है। विजिलेंस विभाग ने इस 75 करोड़ की लागत वाली परियोजना की जांच अब तेजी से शुरू कर दी है लेकिन अब सामने आया है कि नगर निगम ने विजिलेंस को अधूरे दस्तावेज ही भेजे हैं, जिससे जांच प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।अधूरे दस्तावेजों से फंसा नगर निगम विजिलेंस विभाग ने नगर निगम से इस 24/7 पायलट प्रोजेक्ट से जुड़े सभी दस्तावेजों की मांग की थी, लेकिन निगम ने केवल कुछ दस्तावेज ही सौंपे हैं। इससे विजिलेंस ने एक बार फिर पूरा रिकॉर्ड जल्द भेजने को कहा है, ताकि जल्द जांच पूरी की जा सके। सूत्रों के अनुसार, यह रिपोर्ट सीधे केंद्र सरकार को भेजी जा रही है, जिससे मामला और संवेदनशील हो गया है।
चंडीगढ़ मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए नगर निगम के चीफ इंजीनियर और विजिलेंस विभाग को नोटिस जारी किया है और 31 जुलाई तक जवाब मांगा है। साथ ही, नगर निगम के एक्शन को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए गए हैं। पूर्व कमिश्नर आनंदिता मित्रा भी जांच के घेरे में इस परियोजना के उद्घाटन के समय नगर निगम की कमिश्नर थीं आनंदिता मित्रा, जबकि वर्तमान में अमित कुमार नगर निगम कमिश्नर हैं। सूत्र बताते हैं कि विजिलेंस विभाग पूर्व कमिश्नर आनंदिता मित्रा से भी पूछताछ कर सकता है! इसके अलावा, प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य अधिकारियों को भी नोटिस भेजे जाएंगे।
बीजेपी और आप आमने-सामने, जांच की उठी मांग
बीजेपी चंडीगढ़ अध्यक्ष जतिंदर पाल मल्होत्रा ने केंद्र को पत्र लिखकर बताया था कि उद्घाटन के बावजूद मनीमाजरा में एक दिन भी लगातार पानी की सप्लाई नहीं हुई है। मल्होत्रा ने कहा कि “लोगों के घरों में गंदा पानी आ रहा है और वे परेशान हैं।”इस शिकायत पर केंद्र सरकार ने विजिलेंस विभाग को जांच का आदेश दिया। वहीं आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष विजयपाल सिंह ने चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया से मुलाकात कर सीबीआई जांच की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा है। आप पार्षद सुमन शर्मा का कहना है। भाजपा द्वारा लोगों को गुमराह करके यह झूठा प्रोजेक्ट लगाया गया जल्द से जल्द इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए क्योंकि शहर वासियों को अभी तक गंदा पानी पीने को मिल रहा है।
स्मार्ट सिटी मिशन का हिस्सा, मगर हकीकत में शून्य
यह परियोजना स्मार्ट सिटी मिशन का हिस्सा है और मनीमाजरा के एक लाख से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 24/7 पायलट प्रोजेक्ट बनाया गया था। उद्देश्य था कि लोगों को 24 घंटे, सातों दिन उच्च दबाव वाली पानी की आपूर्ति मिले, जिससे भूजल पर निर्भरता घटे, रिसाव रुके और ऊर्जा की खपत की निगरानी हो सके। लेकिन हकीकत ये है कि आज भी लोगों को गंदा पानी और अनियमित आपूर्ति झेलनी पड़ रही है। बड़े सवाल जो खड़े हो रहे हैं75 करोड़ आखिर कहां खर्च हुए? क्यों अधूरे दस्तावेज भेजे गए विजिलेंस को?क्या यह भ्रष्टाचार का मामला है?क्या पूर्व निगम अधिकारियों ने लापरवाही की? क्या अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी?यह मामला अब सिर्फ नगर निगम की कार्यप्रणाली पर नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की योजनाओं की पारदर्शिता पर भी बड़ा सवाल बनकर उभरा है।