भरत अग्रवाल
चंडीगढ़ दिनभर में यह समाचार प्रकाशित होने के कुछ ही घंटों बाद नगर निगम सक्रिय हो गया। निगम के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर किशन पाल के निर्देश पर अधिकारियों की एक टीम सेक्टर 19डी स्थित विवादित पार्क में पहुंची। टीम ने मौके पर लगे बोर्ड का निरीक्षण किया और पुष्टि की कि इस पर साफ तौर पर लिखा हुआ था कि “यह पार्क सिर्फ सेक्टर 19 के निवासियों के लिए है” तथा “पिकनिक मनाना मना है”।
नगर निगम के अधिकारियों ने इसे पूरी तरह अवैध मानते हुए तुरंत बोर्ड को हटाने के आदेश दिए। निगम कर्मचारियों ने बोर्ड को गेट से उतारकर हटाया और पार्क में आने वाले सभी नागरिकों को आश्वस्त किया कि अब किसी भी प्रकार की रोकटोक नहीं होगी।
नगर निगम ने इस पूरे घटनाक्रम पर आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि किसी भी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को पार्क का “मालिकाना हक” नहीं दिया गया है। पार्क की देखरेख और साफ-सफाई के लिए आरडब्ल्यूए को कुछ जिम्मेदारियां और सीमित फंड अवश्य दिए जाते हैं, लेकिन इसके आधार पर पार्क को निजी क्षेत्र घोषित करने का अधिकार किसी के पास नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि भविष्य में अगर इस तरह की मनमानी दोबारा की गई, तो संबंधित संस्था और जिम्मेदार पदाधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ख़बर का यह प्रभाव सिर्फ मौके तक सीमित नहीं रहा। सोशल मीडिया पर भी लोगों में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। नागरिकों ने आरडब्ल्यूए की इस हरकत को “तुगलकी फरमान” बताते हुए कड़ी आलोचना की। कई लोगों ने लिखा कि अगर ऐसी प्रवृत्तियों को समय रहते रोका न गया, तो धीरे-धीरे पूरे शहर के सार्वजनिक स्थल कुछ चुनिंदा लोगों के कब्जे में चले जाएंगे।
पार्क में आए कुछ परिवारों ने चंडीगढ़ दिनभर की टीम से बातचीत में कहा कि वे अपने बच्चों को घुमाने आए थे, लेकिन जबरन उन्हें गेट से लौटाया गया। कई बुजुर्ग नागरिकों ने भी बताया कि उन्हें अपमानजनक ढंग से “बाहर वालों” की तरह ट्रीट किया गया। समाचार के बाद बोर्ड हटने पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया और कहा कि मीडिया की सक्रियता से उनका हक वापस मिला।
नगर निगम अधिकारियों ने इस कार्रवाई को मिसाल बताते हुए कहा कि कोई भी आरडब्ल्यूए अब यह न समझे कि जनता के पैसों से चलने वाली नगर निगम की संपत्ति पर निजी कब्जा जमाया जा सकता है। निगम ने सभी सेक्टरों की आरडब्ल्यूए को भी सख्त चेतावनी जारी की कि अगर भविष्य में इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए, तो उनका फंड रोका जाएगा और कानूनी कार्रवाई होगी।
इस पूरे प्रकरण ने यह साफ कर दिया कि सार्वजनिक स्थलों का उपयोग सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है, और किसी भी संस्था को यह अधिकार नहीं कि वह मनमर्जी से नियम बनाकर लोगों को रोक सके। चंडीगढ़ दिनभर की ख़बर के चलते यह बड़ा मसला उजागर हुआ और नगर निगम को तत्काल एक्शन लेना पड़ा, जिससे नागरिकों का भरोसा कायम हुआ कि सार्वजनिक स्थलों पर उनकी हिस्सेदारी सुरक्षित है।