Thursday, August 14, 2025

फ्री बुकिंग घोटाले पर चर्चा को लेकर स्पेशल हॉउस मीटिंग की मांग दरकिनार, 30 जून की जनरल हाउस मीटिंग में नए एजेंडा में शामिल किया प्रस्ताव 

भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: नगर निगम के कम्युनिटी सेंटर्स में फ्री बुकिंग को लेकर हुए कथित घोटाले की गूंज इस बार की जनरल हाउस मीटिंग में सुनाई देगी। आम आदमी पार्टी के पार्षदों द्वारा की गई विशेष हाउस मीटिंग की मांग को दरकिनार करते हुए मेयर हरप्रीत कौर बबला ने इसे जनरल हाउस के नए एजेंडा में शामिल करने का फैसला किया है।

सूत्रों के मुताबिक, आप पार्षद इस मुद्दे पर खुलकर सवाल उठाने की तैयारी में हैं। पार्षद फ्री बुकिंग घोटाले सामने करने वाले आवेदनकर्ता हरदीप सिंह की लिखित स्टेटमेंट, जमा दस्तावेज़ और संपूर्ण रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने की मांग करेंगे। बताया जा रहा है कि नगर निगम के अधिकारी इस मीटिंग में पिछले 5 वर्षों का विस्तृत रिकार्ड भी पेश करेंगे, जिसमें यह दर्ज होगा कि किन-किन पार्षदों ने कितनी बार फ्री बुकिंग की सिफारिश की। इस खुलासे से नगर निगम में हडक़ंप की स्थिति बन गई है। एक ओर जहां पार्षद इस घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अधिकारी नहीं चाहते कि यह मामला और गहराए। सूत्रों का दावा है कि निगम के अधिकारी अब पार्षदों पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं । सभी पार्षदों की कम्युनिटी सेंटर्स में फ्री बुकिंग में की गई पुरानी सिफारिशों को
हथियार बनाकर उन्हें शांत रखने की कोशिश की जा रही है।

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नगर निगम की तैयारी, रिकॉर्ड से होगा पर्दाफाश:
नगर निगम के अधिकारियों ने भी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ी है। सूत्रों के अनुसार, निगम प्रशासन जनरल हाउस मीटिंग में पिछले पांच वर्षों का पूरा रिकॉर्ड पेश करने जा रहा है, जिसमें यह साफ तौर पर बताया जाएगा कि किस-किस पार्षद ने कितनी बार फ्री बुकिंग की सिफारिश की थी। इस रिकॉर्ड में फाइल नंबर, बुकिंग डेट, इवेंट डिटेल और लाभार्थियों की सूची भी शामिल होगी। नगर निगम प्रशासन ने यह डिटेल इसलिए भी तैयार की है ताकि अगर पार्षद इस घोटाले पर सवाल उठाएं, तो उन्हें भी उन्हीं की सिफारिशों के जरिए जवाब दिया जा सके। यानी, एक तरह से सभी पार्षदों की पुरानी सिफारिशों को ही उनके खिलाफ राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।

दबाव की राजनीति और अंदरूनी डर:
सूत्रों की मानें तो निगम अधिकारी नहीं चाहते कि यह घोटाला और ज्यादा चर्चा में आए या इसकी जांच किसी बाहरी एजेंसी तक पहुंचे। इसी वजह से पार्षदों पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है  ताकि वे इस मुद्दे पर ज्यादा मुखर न हों। अधिकारियों का मानना है कि अगर सभी पार्षदों की सिफारिशें उजागर की गईं, तो कोई भी इस मामले में पूरी तरह पाक साफ साबित नहीं हो सकेगा। यह स्थिति आपसी राजनैतिक सौदेबाजी का रूप ले सकती है, जिसमें कुछ पार्षद चुप्पी साध सकते हैं और कुछ अपनी सफाई देते हुए मामले को कमजोर करने की कोशिश कर सकते हैं।

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