Thursday, August 14, 2025

लुधियाना विजिलेंस ने अब मोतिया रॉयल एस्टेट मालिकों के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस में दर्ज कर्रवाई डीडीआर

भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: दूसरे की जमीन की गलत ततीमा रजिस्टरी करवाने का जो केस लुधियाना विजिलेंस विभाग ने मोतिया रॉयल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के मालिकों प्रवीण कांसल, नीरज कांसल व इंदु कांसल के खिलाफ दर्ज हुआ था। उसमें अब लुधियाना विजिलेंस ने चंडीगढ़ के पुलिस स्टेशन सेक्टर 19 में दो दिन पहले 17 जून को डीडीआर नंबर 51 दर्ज कर्रवाई है। लुधियाना विजिलेंस विभाग के एएसआई परमिंदर सिंह द्वारा दर्ज करवाई डीडीआर में लिखा गया है कि वे सीनियर कांस्टेबल गुलाब सिंह के साथ सेक्टर 20 की कोठी नंबर 3053 में भारतीय न्याय सहिता की धारा 35(3) के तहत नोटिस सर्व करवाने पहुंचे है।

नोटिस कोठी के मालिक प्रवीण कांसल उर्फ रॉकी कांसल,नीरज कांसल और इंदू कांसल के खिलाफ था। क्योंकि इन तीनों के खिलाफ लुधियाना विजिलेंस में एफआईआर नंबर 10,धारा 420 और 120बी के तहत दर्ज है। इसलिए कानूनी प्रक्रिया के तहत यह नोटिस सर्व करवाने आए थे। कोठी में तीनों आरोपी नहीं मिले। कोठी में नीनू गुप्ता नाम की महिला मिली। जिसने बताया कि तीनों घर पर नहीं है। डीडीआर में पुलिस ने लिखा है कि उन्होंने नीनू गुप्ता को नोटिस देना चाहा, लेकिन उन्होंने यह नोटिस लेने से मना कर दिया, इतना ही नहीं उन्होंने आरोपियों का फोन नंबर तक उन्हें नहीं दिया है। बता दें कि इससे पहले इस केस के आरोपी तहसीलदार तरसेम मित्तल की जमानत याचिका पहले ही लुधियाना कोर्ट से खारिज हो गई थी।

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जबकि बाकि आरोपियों की जमानत पर सुनवाई 21 जून को होगी। आरोपी मोतिया रॉयल एस्टेट के डॉयरेक्टर प्रवीण कांसल,नीरज कांसल और अन्य ने भी जमानत याचिका लुधियाना कोर्ट में दायर की। सूत्रों की माने तो इसमें पुलिस को नोटिस हुआ और कोर्ट आदेशों के मुताबिक आरोपियों की तरफ से प्रोक्सी कांउसिल ने पेश होकर जिरह की जगह खुद अगली डेट मांगी थी।

  • थाना 19 में दर्ज हुई डीडीआर नंबर 51, लिखा प्रवीण कांसल, नीरज कांसल और इंदु कांसल को नोटिस देने पहुंची थी सेक्टर 20 में विजिलेंस
  • आरोपी मिले नहीं-जो मिले उन्होंने नोटिस लिया नही

क्या है मामला?

शिकायत के मुताबिक, प्रवीण कांसल, नीरज कांसल और इंदु कांसल ने मिलकर कंपनी के एक और पार्टनर से बड़ी धनराशि का निवेश करवाया, लेकिन बाद में उस निवेश से जुड़ी जमीन को अपने नाम पर ततिमा रजिस्टर्ड करवा लिया। इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी उस अन्य पार्टनर को नहीं दी गई।जब इस धोखाधड़ी का पता चला, तो उसने तुरंत मुल्लांपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि तहसीलदार तरसेम की मिलीभगत से यह साजिश रची गई और उन्होंने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग कर इस रजिस्ट्री को
मंजूरी दी।

प्रशासनिक मिलीभगत के आरोप:

शिकायत में यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूरी रजिस्ट्री प्रक्रिया में तहसीलदार तरसेम की मिलीभगत रही। आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों को वैध माना और नियमों को नजरअंदाज करते हुए प्रवीण कांसल और अन्य के पक्ष में ततिमा रजिस्टर्ड कर दी।

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