Thursday, August 14, 2025

निगम ने 332 नए ट्यूबवेल ऑपरेटरों की भर्ती के लिए निकाला टेंडर

भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: नगर निगम की जनरल हाउस मीटिंग में दिए गए वादे खोखले साबित हो रहे हैं। हाउस मीटिंग मे कमिश्नर द्वारा ट्यूबवेल ऑपरेटरों को नहीं हटाने का दावा किया गया था, लेकिन अब निगम ने 332 नए ट्यूबवेल ऑपरेटरों की भर्ती के लिए टेंडर निकाल दिया है। इससे मौजूदा 664 ऑपरेटरों की नौकरी पर संकट गहरा गया है।

मीटिंग में हुआ था आश्वासन, अब पलटा निगम:

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बीते दिनों जनरल हाउस मीटिंग में जब ट्यूबवेल ऑपरेटरों को हटाए जाने का मुद्दा उठा, तो नगर निगम कमिश्नर ने साफ शब्दों में कहा था कि किसी भी ऑपरेटर को नहीं हटाया जाएगा और न ही उनकी जगह किसी नई भर्ती की जाएगी। लेकिन मीटिंग के कुछ ही दिनों बाद पब्लिक हेल्थ विभाग के चारों डिवीजनों में 332 ट्यूबवेल ऑपरेटरों की भर्ती के लिए टेंडर निकालना कमिश्नर की बातों को झूठा साबित कर रहा है।

पार्षदों का विरोध, फिर भी जारी हुई भर्ती प्रक्रिया:

बीजेपी पार्षद कंवर सिंह राणा ने मीटिंग में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। उन्होंने कहा कि पहले से कार्यरत ट्यूबवेल ऑपरेटरों को हटाकर निगम नए लोगों की भर्ती करना चाहता है, जो सरासर गलत है। राणा ने आरोप लगाया कि प्रशासन पारदर्शिता का दिखावा कर रहा है, जबकि असल में पुरानों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।

डिवीजन-2 में अंतिम चरण में है टेंडर प्रक्रिया:

जानकारी के मुताबिक, पब्लिक हेल्थ डिवीजन नंबर-3 के लिए टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच चुकी है और जल्द ही टेंडर अलॉट कर दिए जाएंगे। वहीं बाकी डिवीजनों में भी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।

कर्मचारियों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी:

नगर निगम में कार्यरत ट्यूबवेल ऑपरेटरों में इस निर्णय को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि वर्षों से सेवा देने के बावजूद उन्हें हटाकर ठेके पर नए लोगों को लाया जा रहा है। कर्मचारियों ने चेताया है कि अगर भर्ती प्रक्रिया को रोका नहीं गया तो वे सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।

निगम प्रशासन मौन, पारदर्शिता पर सवाल:

निगम प्रशासन की तरफ से अब तक इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। पार्षदों और कर्मचारियों का कहना है कि यदि नई भर्ती ज़रूरी थी तो पहले उन्हें विश्वास में क्यों नहीं लिया गया? क्या यह पारदर्शी व्यवस्था है या फिर कर्मचारियों के हितों की अनदेखी?

क्या बोले जानकार?

स्थानीय प्रशासनिक मामलों के जानकारों का कहना है कि यह पूरा मामला ठेकेदारी को बढ़ावा देने से जुड़ा हो सकता है। इससे खर्च तो कम हो सकता है, लेकिन सेवा की गुणवत्ता और कर्मचारी संतुलन पर इसका असर पड़ना तय है।

अब सवाल ये उठता है– जब पहले से 664 ट्यूबवेल ऑपरेटर काम कर रहे हैं, तो 332 नए ऑपरेटरों की ज़रूरत क्यों? क्या यह मौजूदा कर्मचारियों को हटाने की तैयारी है।

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