मंजीत सहदेव, चंडीगढ़ दिनभर: चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी आने वाली लोकसभा में चंडीगढ़ मेयर के कार्यकाल को पाँच साल करने का विधेयक लाएंगे। सूत्रों का कहना है कि इस मामले को लेकर मनीष तिवारी ने विधेयक का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और वे इस बार इसे लोकसभा में पेश भी करेंगे।दरअसल चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल एक साल के लिए और लगातार इसे बढ़ाने की माँग उठती आई है कि कार्यकाल बढ़ाया जाए और मेयर को कई तरह की अन्य पावर भी दी जाए।
एक साल के कार्यकाल में शहर का विकास करने का समय काफी कम है।विकास के लिए संभव नहीं है ।वहीं अन्य राज्यों में मेयर का कार्यकाल पाँच साल का है। इसी को लेकर अब चंडीगढ़ में भी इसी तरह की मांग शुरू हुई है।वहीं हर साल मेयर का चुनाव करने को लेकर कई तरह के आरोप प्रत्यारोप लगते हैं। इसी को लेकर सांसद द्वारा मेयर कार्यकाल बढ़ाना का विधेयक लाया जा रहा है। हालाँकि इस मामले में सांसद की ओर से किसी तरह का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है वहीं चंडीगढ़ कांग्रेस के नेता सुरेंद्र सिंह का दावा है कि मनीष तिवारी था विधेयक ला रहे हैं।
अब इसी को लेकर कांग्रेस के नेता और नगर निगम के पूर्व मेयर सुरेंद्र सिंह ने इस विधेयक में अपने सुझाव जोड़ने की माँग भी की है उन्होंने कहा की संसद मनीष तिवारी चंडीगढ़ नगर के मेयर के 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए लोकसभा में एकनिजी विधेयक पेश करने जा रहे हैं।इसी को लेकर उन्होंने आपने कुछ सुझाव भी दिए हैं।
पंजाब नगरपालिका अधिनियम 1976 में कुछ संशोधनों को भी शामिल करने की जरूरत है ।जिन्हें चंडीगढ़ संशोधन अधिनियम 1994 में विस्तारित किया गया है।
1. चंडीगढ़ में मेयर-इन-काउंसिल का प्रावधान, कार्यकारी शक्तियों वाले उपमहापौर, वरिष्ठ उप महापौर के माध्यम से सभी फाइलों का आवागमन सुनिश्चितकरना।
2. उप महापौर, वरिष्ठ उप महापौर और महापौर द्वारा प्रथम, द्वितीय और तृतीयरिकॉर्डिंग अधिकारियों के रूप में सभी राजपत्रित अधिकारियों की वार्षिकगोपनीय रिपोर्ट दर्ज करना।
3. नगर निगम के कामकाज के भीतर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों केनिलंबन, पोस्टिंग और स्थानांतरण की शक्ति।
4. महापौर और नगर निगम के 5 सदस्यों और नगर निगम चंडीगढ़ के आयुक्त कीअध्यक्षता में अधिकारियों की नियुक्ति पर एक स्थायी समिति।
5. उप महापौर, वरिष्ठ उप महापौर और महापौर को किसी भी प्राकृतिक आपदाके लिए प्रति वर्ष 1 करोड़, 2 करोड़ और 3 करोड़ रुपये तक की वित्तीय शक्तियां।
6. यदि उपरोक्त संशोधन अधिनियम में शामिल किए जाते हैं, तो मुझे विश्वास हैकि चंडीगढ़ नगर निगम, एकमात्र लोकतांत्रिक निकाय, विधानसभा और राज्यसरकार की तरह काम करेगा, जिसमें उसके प्रतिनिधियों की पूरी सार्वजनिक रायहोगी।