जालंधर कैंट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान परगट सिंह ने आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में चुनाव हार चुके नेताओं को अब पंजाब में सरकार के विभागों में बिठाया जा रहा है, जबकि पंजाबी युवाओं को नौकरियों से बाहर निकाला जा रहा है।
परगट सिंह ने एक बयान में कहा कि पंजाब के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अप्रैल 2025 में पंजाब सरकार की एजेंसी “पुनमीडिया (PUNMEDIA)” से सैकड़ों पंजाबी लड़के-लड़कियों को बाहर निकाल दिया गया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब उसी एजेंसी में दिल्ली से 120 से ज्यादा लोगों की भर्ती की गई है। इनमें ज्यादातर वे लोग हैं जो दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए काम कर चुके हैं या चुनाव हार चुके नेताओं के नजदीकी माने जाते हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर कटाक्ष करते हुए कहा, “आप मुख्यमंत्री हैं या केजरीवाल जी के पर्सनल सेक्रेटरी? पंजाब सरकार, पंजाबियों की नहीं रही, अब यह केजरीवाल का दफ्तर बन गई है।” परगट सिंह ने ये भी कहा कि वह इस विषय को विधानसभा सत्र में जोरदार तरीके से उठाएंगे और इसके खिलाफ सड़क से सदन तक संघर्ष करेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने लिखा – “पंजाबी युवाओं को नौकरी से निकालना और दिल्ली वालों को भर्ती करना – यह अन्याय है। युद्ध दिल्ली के विरुद्ध।”
विधायक ने यह भी आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी पंजाब में लोकल टैलेंट को दबा रही है और दिल्ली से हारकर आए नेताओं को मलाईदार पदों पर बैठाया जा रहा है। इससे पंजाब के युवा बेरोजगारी और हताशा की ओर बढ़ रहे हैं।हालांकि परगट सिंह के इन आरोपों पर अभी तक आम आदमी पार्टी या पंजाब सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
यह पहली बार नहीं है जब परगट सिंह ने आम आदमी पार्टी पर इस तरह के आरोप लगाए हों। इससे पहले भी वह सरकार पर ‘बाहरी दखल’ का मुद्दा उठा चुके हैं। उनका मानना है कि पंजाब की स्वायत्तता को कमजोर किया जा रहा है और नौकरियों में क्षेत्रीय संतुलन नहीं रखा जा रहा।
परगट सिंह की इस बयानबाजी ने राज्य की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। विपक्ष पहले से ही मान सरकार पर नौकरियों, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर सवाल उठा रहा है, और अब “बाहरी लोगों को तरजीह” जैसे मुद्दे जनता के बीच आक्रोश का कारण बन सकते हैं। यदि सरकार इस पर जल्द और पारदर्शी जवाब नहीं देती, तो आने वाले समय में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से और अधिक तूल पकड़ सकता है।