हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के तीसा क्षेत्र में एक दर्दनाक सड़क हादसे में सास और दामाद की जान चली गई। यह हादसा सोमवार की शाम करीब 4 बजे हुआ, जब पहाड़ी से अचानक एक बड़ा पत्थर गिरकर चलती कार पर आ गिरा। इस कारण कार सड़क से फिसलकर लगभग 150 फीट गहरी खाई में जा गिरी। कार में मौजूद 55 वर्षीय देई देवी और उनके दामाद खेमराज (36 वर्ष) इस भयानक दुर्घटना का शिकार हो गए। देई देवी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि खेमराज को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
मृतकों की पहचान खेमराज पुत्र देवीचंद, निवासी थनेईकोठी, और उनकी सास देई देवी पत्नी किशनचंद, निवासी लठरुंड, के रूप में हुई है। दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए चंबा मेडिकल कॉलेज भेजा गया है। पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए जाएंगे। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, खेमराज अपनी सास देई देवी को बेटी से मिलवाने के लिए ले जा रहे थे। देई देवी कई दिनों से अपनी बेटी से मिलने की इच्छा जता रही थीं। दुर्भाग्यवश, यह मुलाकात अब कभी पूरी नहीं हो पाएगी। इस हादसे ने परिवार को गहरे शोक में डुबो दिया है।
स्थानीय ग्रामीणों की मदद से पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद खाई में गिरी कार से दोनों शवों को बाहर निकाला और उन्हें सड़क तक पहुंचाया। उसके बाद एंबुलेंस की मदद से उन्हें तीसा अस्पताल लाया गया। वहां से शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए चंबा भेजा गया। खेमराज सरकारी नौकरी करते थे और ट्रेजरी विभाग में तैनात थे। उनके परिवार में पत्नी और तीन छोटे बच्चे हैं। इस दुर्घटना के बाद उनका परिवार पूरी तरह से टूट चुका है। अब न सिर्फ तीन बच्चों से उनका पिता छिन गया, बल्कि एक पत्नी ने अपने जीवनसाथी को हमेशा के लिए खो दिया।
प्रशासन ने जताया शोक:
इस हृदयविदारक घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने शोक जताया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और हादसे की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है।
बरसात और भूस्खलन बना जानलेवा:
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में इन दिनों मौसम खराब है और कई पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं। पहाड़ों से पत्थर गिरने की वजह से यह हादसा हुआ, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है।
जनता से अपील:
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे खराब मौसम में सावधानी बरतें, खासकर जब वे दुर्गम या पहाड़ी इलाकों में सफर कर रहे हों। जान जोखिम में डालने से बेहतर है कि आवश्यक सावधानियां बरती जाएं और मौसम की स्थिति देखकर ही यात्रा की जाए। यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि प्रकृति के सामने हम सब असहाय हैं और सुरक्षा के सभी कदम उठाना बेहद जरूरी है।