Friday, August 15, 2025

लुधियाना सेंट्रल जेल में वार्डन की करतूत बेनकाब: 500 रुपए में कैदियों को बेचता था जर्दा, पैर में छिपा कर ले जाता था अंदर

लुधियाना सेंट्रल जेल में एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें जेल के ही एक वार्डन को नशे की सप्लाई के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी वार्डन का नाम गुरप्रीत सिंह है, जो पंजाब के फाजिल्का जिले के गांव सिंघेवाला का रहने वाला है। पुलिस के मुताबिक, गुरप्रीत सिंह जेल के अंदर बंदियों को जर्दा नामक नशे की पुड़िया सप्लाई करता था। यह नशा जेल में पहले भी चर्चा का विषय रहा है, लेकिन अब जब जेल के ही एक कर्मचारी पर इस तरह का आरोप लगा है, तो यह मामला और भी गंभीर हो गया है।

पुलिस को जानकारी मिली कि वार्डन जर्दे की पुड़िया को जेल के अंदर छिपाकर ले जाता था। जांच में पता चला कि वह इस पुड़िया को अपने पैर के साथ टेप से चिपकाकर ऊपर से जुराब पहनकर जेल में प्रवेश करता था। इस चालाकी के बावजूद पुलिस को उस पर शक हुआ और जब उसकी तलाशी ली गई तो उसके पैर से जर्दे की पुड़िया बरामद हुई। पुलिस ने उसकी तुरंत गिरफ़्तारी कर ली और जेल में नशा सप्लाई के सिलसिले की जांच शुरू कर दी।

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बताया गया है कि जेल के अंदर एक जर्दे की पुड़िया की कीमत लगभग 500 रुपए होती है। वार्डन इसी तरह से नियमित रूप से नशा जेल में कैदियों तक पहुंचाता था। इस तरह की कार्रवाई जेल प्रशासन और कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल है क्योंकि जेल में नशे की सप्लाई पूरी सुरक्षा व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है। इस मामले में थाना डिवीजन नंबर 7 की पुलिस ने वार्डन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 42, 45 और 52-A के तहत मुकदमा दर्ज किया है, जो कि जेल कानूनों के तहत सख्त प्रावधान हैं।

पुलिस अब आरोपी का पिछला रिकॉर्ड भी खंगाल रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह कब से जेल में नशे की सप्लाई कर रहा था और क्या इसके साथ अन्य लोग भी शामिल हैं। इस जांच से उम्मीद की जा रही है कि जेल के अंदर नशे के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकेगा। जेल प्रशासन की इस तरह की लापरवाही से जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।

लुधियाना सेंट्रल जेल में नशे की सप्लाई को लेकर पहले भी कई बार शिकायतें मिली हैं, लेकिन अब जब यह मामला जेल के ही कर्मचारी से जुड़ा है तो इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है। ऐसे मामलों से यह साफ हो जाता है कि जेल में न केवल बाहरी लोग बल्कि अंदर के कर्मचारी भी अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। यह स्थिति जेल सुधार और प्रबंधन के लिए एक चुनौती बन चुकी है।

पुलिस ने बताया कि इस मामले की गहन जांच जारी है और गुरप्रीत सिंह से कड़ी पूछताछ की जा रही है। जांच अधिकारियों का मानना है कि इस मामले में और भी कई आरोपी हो सकते हैं जो जेल के अंदर नशा सप्लाई का काम करते हैं। पुलिस उनके बारे में भी जानकारी जुटा रही है ताकि पूरे जाल को उजागर किया जा सके।

यह घटना जेल प्रशासन की बड़ी लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था में कमी को उजागर करती है। जेल के भीतर नशा सप्लाई जैसे अपराध को रोकने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया है ताकि जेल में बंद कैदी सुरक्षित और सुधार के योग्य माहौल में रह सकें। साथ ही यह समाज के लिए भी चिंता का विषय है कि जेल जैसी जगह पर नशा आसानी से उपलब्ध हो रहा है, जो कि अपराध को बढ़ावा देने वाला कारक है।

इस मामले के सामने आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि जेल प्रशासन और पुलिस अधिक सतर्क हो जाएंगे और जेल के अंदर नशा सप्लाई की पूरी कड़ी तोड़ने के लिए प्रभावी कार्रवाई करेंगे। ऐसे मामलों से समाज में जेल सुधार की आवश्यकता और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की बात और जोर से सामने आती है। जेलों में सुधार और सही निगरानी के बिना अपराधी मानसिकता वाले लोग जेल के भीतर भी अपराध करने से नहीं रुकेंगे, इसलिए जेल प्रशासन को इस दिशा में और कठोर कदम उठाने होंगे।

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