चंडीगढ़: गांव मलोया में मंगलवार सुबह प्रशासन की टीम भारी पुलिस बल के
साथ पहुंची और अवैध रूप से बनीं 25 दुकानों को गिरा दिया। कार्रवाई के
दौरान इलाके में तनाव का माहौल रहा, जबकि दुकानदारों के चेहरों पर मायूसी
और गुस्सा साफ नजर आया।
प्रशासनिक कार्रवाई सुबह तब शुरू हुई जब तहसीलदार पुण्यदीप शर्मा और थाना
मलोया के प्रभारी इंस्पेक्टर जसबीर सिंह के नेतृत्व में टीम मौके पर
पहुंची। संभावित विरोध को रोकने के लिए पूरे गांव की बिजली काट दी गई।
इसके बाद बुलडोजर चलाकर दुकानों को ध्वस्त किया गया।
कई सालों से इन दुकानों में व्यवसाय कर रहे लोगों के लिए यह कार्रवाई
किसी बड़े झटके से कम नहीं थी। दुकानदार कर्ण, जो पिछले डेढ़ दशक से
मलोया में मीट की दुकान चला रहे थे, भावुक होकर बोले —
“जब यहां आया था, बच्चे छोटे थे। यही दुकान हमारी रोज़ी-रोटी थी। अब कहां जाएं?”
प्रशासन का कहना है कि इन दुकानदारों को पहले भी कई बार नोटिस दिए जा
चुके थे। हाल ही में उन्हें 3 जून की अंतिम तारीख देते हुए स्वयं दुकानों
को हटाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन निर्धारित समय तक कोई भी
कार्रवाई नहीं हुई।
कार्रवाई के दौरान दुकानदारों ने जल्दी-जल्दी अपने सामान को बाहर निकाला,
लेकिन कुछ की सामग्री टूट-फूट का शिकार भी हुई।
इस कार्रवाई के बाद क्षेत्र में भारी नाराजगी देखी गई। दुकानदारों ने
प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया। एक दुकानदार ने कहा:
“क्या अवैध कब्जे सिर्फ मलोया में हैं? शहर के अन्य हिस्सों में भी तो
लोगों ने पक्के निर्माण कर रखे हैं, लेकिन वहां कार्रवाई नहीं होती।
कानून सबके लिए बराबर क्यों नहीं?”
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि यदि अवैध निर्माणों पर कार्रवाई होनी है,
तो वह समान रूप से पूरे शहर में होनी चाहिए, न कि सिर्फ चुनिंदा इलाकों
में।
प्रशासन की ओर से फिलहाल अगली कार्रवाई को लेकर कोई बयान नहीं आया है,
लेकिन मलोया में हुए घटनाक्रम ने एक बार फिर अवैध कब्जों और प्रशासनिक
सख्ती को लेकर बहस छेड़ दी है।