ढींगरा का कहना है कि यह कोई छोटी-मोटी गलती नहीं है, बल्कि एक संगठित घोटाला है। निगम के अधिकारी, एजेंट और कर्मचारी आपस में मिले हुए हैं। बुकिंग के नाम पर जनता से पैसे लिए गए, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में बुकिंग फ्री या भारी छूट पर दिखा दी गई। इससे नगर निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
दस्तावेजों को छिपाने की कोशिश:
ढींगरा ने आरोप लगाया कि घोटाले की खबर सामने आने के बाद बुकिंग ब्रांच के कुछ कर्मचारी जरूरी कागज़ात छिपा रहे हैं या नष्ट कर रहे हैं। कुछ डिजिटल रिकॉर्ड भी डिलीट करने की कोशिश की गई है। उन्होंने मांग की है कि जिम्मेदार अफसरों को तुरंत सस्पेंड किया जाए ताकि सबूत सुरक्षित रह सकें।
बाहर के एजेंट भी शामिल:
इस घोटाले में निगम के बाहर के एजेंटों की भी भूमिका सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार कुछ एजेंट लोगों से पैसे लेकर बुकिंग करवाते थे, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में बुकिंग मुफ्त या छूट वाली दिखाते थे। इस तरह सारा पैसा इन एजेंटों और भ्रष्ट अधिकारियों की जेब में चला गया।
नागरिकों में गुस्सा और अविश्वास:
इस खुलासे के बाद शहर की जनता में भारी गुस्सा है। लोग सोशल मीडिया पर नगर निगम के अधिकारियों की निंदा कर रहे हैं और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कुछ सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की तैयारी भी शुरू कर दी है।
एक स्थानीय नागरिक मुकेश गोयल ने कहा,
मीडिया की तारीफ:
इस बड़े घोटाले का खुलासा “चंडीगढ़ दिनभर” समाचार समूह ने किया। उनकी निष्पक्ष और साहसी रिपोर्टिंग की हर तरफ सराहना हो रही है। उन्होंने न सिर्फ सच सामने लाया बल्कि सबूतों और गवाहों के आधार पर पूरे मामले की गहराई से रिपोर्टिंग की। फिलहाल यह घोटाला चंडीगढ़ प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अब देखना यह है कि क्या इसकी निष्पक्ष जांच होगी या यह मामला भी बाकी घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा।