पंजाब के तीन नौजवान—हुशनप्रीत सिंह (धुरी, संगरूर), जसपाल सिंह (नवांशहर) और अमृतपाल सिंह (होशियारपुर)—ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए दिल्ली से निकले थे। उन्हें होशियारपुर के ट्रैवल एजेंट ने यह कहकर दिल्ली बुलाया कि सीधे ऑस्ट्रेलिया की फ्लाइट नहीं है, पहले ईरान में एक दिन रुकवाया जाएगा। लेकिन उन्हें धोखे से ईरान में उतारकर अगवा कर लिया गया।
ऐसे हुआ अगवा:
एजेंटों ने पहले 26 अप्रैल और फिर 29 अप्रैल की फ्लाइट कैंसिल करवाई। कहा गया कि स्टे फ्लाइट मिलेगी जिसमें ईरान में एक दिन रुकना होगा। 29 अप्रैल को युवकों को ईरान ले जाया गया। तेहरान एयरपोर्ट पर एक टैक्सी ड्राइवर उन्हें लेने आया। उसी ड्राइवर ने उन्हें गलत जगह ले जाकर अगवा करवा दिया।
मारपीट और फिरौती की मांग:
1 मई से लगातार फोन और वीडियो कॉल्स के जरिए युवकों से मारपीट के वीडियो भेजे जा रहे हैं। अपहरणकर्ताओं ने पहले 1.5 करोड़, फिर 1 करोड़ और अब 55 लाख रुपए की फिरौती मांगी है। पैसे पाकिस्तान के हबीब बैंक में जमा कराने को कहा गया है।
कैसे हुआ खुलासा:
युवकों ने अपने फोन से नहीं बल्कि तीसरे युवक के फोन से कॉल की। कॉल में कहा गया कि हम गलत जगह आ गए हैं, मारपीट हो रही है और पैसे मांगे जा रहे हैं। कॉल के दौरान उनके गले और सिर पर हथियार भी दिखाए गए।
परिजनों की व्यथा:
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हुशनप्रीत की मां: “मेरा बेटा नगर काउंसिल में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करता था। अब उसका कोई पता नहीं।”
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जसपाल का परिवार: “14 मई के बाद से कोई खबर नहीं मिली। टैक्सी ड्राइवर ही डोंकरों (मानव तस्करों) के पास ले गया।”
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अमृतपाल की शिकायत पर होशियारपुर पुलिस ने ट्रैवल एजेंट धीरज, कमल और एक महिला के खिलाफ अपहरण और धमकी देने का केस दर्ज कर लिया है।
सरकारी प्रयास:
पंजाब के NRI मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने बताया कि विदेश मंत्रालय और ईरान स्थित भारतीय दूतावास इस मामले पर काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही तीनों युवकों को सुरक्षित भारत वापस लाया जाएगा।
परिजनों की गुहार:
परिवारों ने सांसद राजकुमार चब्बेवाल और मंत्री कुलदीप सिंह से मिलकर मदद की अपील की है। उन्होंने कहा कि अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है और उनका सिर्फ एक ही निवेदन है — “हमारे बच्चों को जल्दी से जल्दी भारत लाया जाए।”
धोखा और दर्द:
युवकों को झूठ बोलकर ईरान ले जाया गया और अब उनकी ज़िंदगी खतरे में है। परिवार वालों का कहना है कि काश उन्होंने बच्चों को विदेश भेजने का सोचा ही न होता। अब न एजेंट का कोई पता है, न बच्चों का हाल मालूम है।