Thursday, August 14, 2025

प्रशासन की नीतियों से परेशान व्यापारी, मोहाली और पंचकूला हो रहे शिफ्ट : संजीव चड्डा

त्रिलोचन सिंह, चंडीगढ़ दिनभर|

चंडीगढ़: शहर में व्यापारिक माहौल दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है। प्रशासन की नीतियों से नाराज़ व्यापारी अब मोहाली और पंचकूला की ओर रुख करने लगे हैं। चंडीगढ़ व्यापार मंडल के प्रधान संजीव चड्डा ने ‘चंडीगढ़ दिनभर’ से बातचीत में कहा कि प्रशासन के मनमाने और बेतुके फैसलों के चलते शहर का व्यापार धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।

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उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन में मौजूद अधिकतर अधिकारी पंजाब और हरियाणा कैडर से होते हैं, जिन्हें चंडीगढ़ के विकास से खास सरोकार नहीं होता। नतीजतन, ऐसे अफसर निर्णय लेने से पहले न तो व्यापार मंडल से और न ही जनता के प्रतिनिधियों से कोई सलाह लेते हैं। इसका सीधा असर शहर के व्यापारियों पर पड़ रहा है।

संजीव चड्डा ने बताया कि हाल ही में पहले कलेक्टर रेट और अब प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। ये सभी फैसले बिना किसी विचार-विमर्श के लिए गए, जिससे व्यापारी वर्ग बेहद नाराज़ है।

“आपत्तियां सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई हैं”

व्यापारी अहूजा ने कहा कि प्रशासन जनता से आपत्तियां तो मंगवाता है, लेकिन उन्हें कभी संज्ञान में नहीं लिया जाता। उन्होंने कहा कि बाहर से आए अधिकारी अक्सर अपने मूल राज्य की प्राथमिकताओं को अधिक महत्व देते हैं, जिससे स्थानीय व्यापारी नुकसान उठाते हैं।

“नेताओं की बात नहीं सुनी जाती, तो फिर लोकतंत्र का क्या मतलब?”

चंडीगढ़ व्यापार मंडल के वरिष्ठ सदस्य बरजिंदर सिंह बिट्टू ने कहा कि जब नेता खुद कहते हैं कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते, तो फिर ऐसे में चुनावों और जनप्रतिनिधियों का क्या महत्व रह जाता है? उन्होंने कहा कि जब भी प्रशासन को वित्तीय संकट का सामना होता है, तो उसका हल जनता पर टैक्स बढ़ाकर निकाला जाता है, जिससे व्यापारियों की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं।

मोहाली और पंचकूला बन रहे व्यापारियों की पहली पसंद

बरजिंदर सिंह बिट्टू ने आगे बताया कि अब चंडीगढ़ के व्यापारी लगातार मोहाली और पंचकूला की ओर शिफ्ट हो रहे हैं, क्योंकि वहां का प्रशासन अपेक्षाकृत सहयोगी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने अपने रवैये में बदलाव नहीं किया, तो चंडीगढ़ में व्यापार पूरी तरह समाप्त हो सकता है।

व्यापारियों की मांगें:

व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि:

  • व्यापार के अनुकूल नीतियाँ बनाई जाएँ,

  • टैक्स में राहत दी जाए,

  • प्रशासनिक निर्णयों में व्यापार मंडल की भागीदारी सुनिश्चित हो,

  • और स्थानीय हितों को प्राथमिकता दी जाए।

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