चंडीगढ़ दिनभर।
महफिल हॉटल की 5 मंजिला मल्टीस्टोरी बिल्डिंग गिरने से इसके मालिक संजय बसंल
को करोड़ो का नुकसान हुआ हैं जबकि इस बिल्ंिडग को मालाबार ज्वैलर को किराए पर
दिया गया था और वहीं इस बिल्ंिडग में रैनोवेशन का काम करवा रहे थे। वहीं
चंडीगढ़ प्रशासन ने सेक्टर 17-सी में एससीओ 183-185 के ढहने के बाद बड़ा कदम
उठाते हुए इसके आसपास की इमारतों के सुरक्षा मानकों की जांच का आदेश दिया है।
यह घटना 6 जनवरी, 2025 की तडक़े हुई थी। हादसे से पहले इमारत को असुरक्षित
मानते हुए खाली करा लिया गया था, जिससे कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
प्रशासन ने बताया कि एससीओ 181-182, जो गिरी हुई इमारत के बगल में स्थित है,
को भी असुरक्षित करार दिया गया है। डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने
निर्देश दिए हैं कि इस इमारत की संरचनात्मक मजबूती और स्थायित्व की तुरंत जांच
की जाए। जांच पूरी होने और सुरक्षा प्रमाण पत्र जारी होने तक इमारत में प्रवेश
और उसके आसपास की गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया गया है।
आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एससीओ 181-182 में रहने वाले सभी
व्यक्तियों को तुरंत इमारत खाली करनी होगी। आदेश की अवहेलना करने वालों पर
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 और अन्य प्रासंगिक कानूनों के तहत
कार्रवाई की जाएगी।
चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया गया है कि वे आदेश का पालन
सुनिश्चित करें। साथ ही, इमारत को तत्काल खाली कराने और क्षेत्र को घेराबंदी
करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।
जिला मजिस्ट्रेट और डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी निशांत कुमार यादव
आईएएस ने कहा कि यह कदम जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
आदेश में यह भी कहा गया है कि संबंधित अधिकारी जल्द से जल्द इमारत का निरीक्षण
कर उचित कदम उठाएं।
यह घटना चंडीगढ़ में भवन संरचना और सुरक्षा मानकों को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा
करती है। प्रशासन ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे सुरक्षा उपायों का पालन
करें और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का समर्थन करें।
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सेक्टर 17 सी में महफील बिल्डिंग के ढहने की घटना पूरे शहर में चर्चा का विषय
बनी रही। लोगों के बीच सवाल उठ रहे हैं कि यह इमारत अचानक गिर गई या फिर इसके
पीछे किसी तरह की योजना थी। इस घटना ने शहरवासियों को स्तब्ध कर दिया है और
इसके कारणों को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ लोग इसे अचानक
हुआ हादसा बता रहे हैं, तो कुछ इस पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है
कि बिल्डिंग की स्थिति पहले से खराब थी और यह गिरने की कगार पर थी। वहीं, कुछ
का मानना है कि इस घटना के पीछे कोई योजना या साजिश हो सकती है। लेकिन अभी तक
इसके पीछे की असली वजह का खुलासा नहीं हो पाया है। सूत्रों के अनुसार, इस
बिल्डिंग का रिवाइज्ड प्लान पहले प्रशासन को सबमिट किया गया था, लेकिन इसे
रिजेक्ट कर दिया गया था। अब जबकि बिल्डिंग गिर चुकी है, चर्चा है कि इस प्लान
को फिर से सबमिट किया जाएगा। यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या इस प्लान को
मंजूरी देने में कोई देरी या चूक हुई थी, जो इस हादसे का कारण बनी। चंडीगढ़
प्रशासन और डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने घटना की जांच शुरू कर
दी है। घटना से जुड़ी सभी पहलुओं की बारीकी से पड़ताल की जा रही है। यह जांच
यह भी स्पष्ट करेगी कि बिल्डिंग के गिरने के पीछे तकनीकी खामी थी या किसी तरह
की लापरवाही। लोगों का कहना है कि प्रशासन को पहले ही कमजोर इमारतों की जांच
करनी चाहिए थी। अगर बिल्डिंग असुरक्षित थी, तो इसे समय रहते गिराने की योजना
क्यों नहीं बनाई गई? अब सबकी निगाहें प्रशासन की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।
अगर रिवाइज्ड प्लान को लेकर कोई अनियमितता पाई जाती है, तो इसके लिए जिम्मेदार
अधिकारियों और बिल्डिंग मालिकों पर कार्रवाई हो सकती है। इस घटना ने शहर में
बिल्डिंग सुरक्षा मानकों और प्रशासनिक सतर्कता को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए
हैं।
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सेक्टर-17 में आज सुबह एक बड़ा हादसा हुआ, जब सुबह 7 बजे एक 5 मंजिला
मल्टीस्टोरी बिल्डिंग भरभराकर गिर गई। गनीमत रही कि इस हादसे में किसी प्रकार
की जनहानि नहीं हुई, क्योंकि यह बिल्डिंग काफी समय से खाली पड़ी थी। प्रशासन
और पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले की जांच में जुटे हुए हैं।
गिरी हुई बिल्डिंग सेक्टर-17 की प्राइम लोकेशन पर स्थित थी। इसके पास ही डीसी
ऑफिस, एक नामी शोरूम और एक होटल भी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब यह हादसा
हुआ, तो ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा धमाका हुआ हो। आसपास रहने वाले लोग डर के कारण
घरों से बाहर निकल आए, जिससे इलाके में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, बिल्डिंग में पिछले दो महीने से रेनोवेशन का काम
चल रहा था। इस दौरान इमारत के पिलर्स और दीवारों में दरारें भी आ गई थीं।
सीलिंग के बाद भी निर्माण कार्य जारी रहा। चंडीगढ़ के इस हादसे ने शहर की
पुरानी इमारतों की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। समय रहते उचित कदम न उठाने
से ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं, जो लोगों की जान के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं।
प्रशासन ने फिलहाल इलाके को सुरक्षित घोषित कर दिया है और मलबा हटाने का काम
जारी है।