भरत अग्रवाल,चंडीगढ़ दिनभर।
चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में इस बार भी सीक्रे ट वोटिंग होगी। सूत्रों
के अनुसार, चंडीगढ़ के प्रशासक ने इंडिया गठबंधन की मांग को सिरे से खारिज कर
दिया है, जिसमें हाथ उठाकर मेयर चुनने की प्रक्रिया अपनाने की बात कही गई थी।
जल्द ही डिप्टी कमिश्नर कार्यालय से इस संबंध में आधिकारिक पुष्टि की जा सकती
है।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने यह मांग उठाई थी कि पारंपरिक
सीक्रेट वोटिंग प्रक्रिया के बजाय पार्षद हाथ उठाकर अपने मत का प्रदर्शन करें।
इसके लिए आम आदमी पार्टी ने बाकायदा डिप्टी कमिश्नर को एक मांग पत्र भी सौंपा
था। इस मांग के पीछे तर्क दिया गया कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह
कदम आवश्यक है।
इंडिया गठबंधन के नेताओं का कहना है कि पिछले मेयर चुनावों में सीक्रे ट
वोटिंग के दौरान इनवैलिड वोट और धांधली की घटनाएं सामने आई थीं, जिससे चुनाव
प्रक्रिया पर सवाल खड़े हुए थे। गठबंधन का दावा है कि हाथ उठाकर वोटिंग से यह
समस्या खत्म हो सकती है और पारदर्शिता बढ़ेगी।
इस फैसले के बाद मेयर चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है। सभी राजनीतिक दल अपने
पार्षदों को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं। यह देखना होगा कि आगामी चुनाव
में सीक्रेट वोटिंग किस पार्टी के पक्ष में जाएगी और कौन चंडीगढ़ का अगला मेयर
बनेगा।
चुनाव की तारीख नजदीक है और सियासी गलियारों में हलचल तेज हो चुकी है। सभी की
निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या इस बार सीक्रेट वोटिंग से मेयर चुनाव
की प्रक्रिया बिना विवाद के पूरी हो पाएगी।
सीक्रेट वोटिंग को लेकर विवाद और डर:
सीक्रेट वोटिंग प्रक्रिया को लेकर सभी पार्टियों के भीतर चिंता बनी रहती है।
पार्षदों द्वारा अन्य पार्टी के उम्मीदवारों को वोट देने के मामले सामने आते
रहे हैं। आरोप यह भी हैं कि पार्षदों को लालच देकर या अन्य तरीकों से प्रभावित
किया जाता है। ऐसे में नेताओं को डर है कि उनके ही पार्षद, सीक्रेट वोटिंग के
चलते, पार्टी लाइन से हटकर वोट कर सकते हैं।
हाथ उठाने की मांग खारिज, प्रशासन सख्त:
हालांकि, चंडीगढ़ प्रशासन ने इस मांग को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।
प्रशासन का कहना है कि सीक्रेट वोटिंग लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है और
इसे बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि चुनाव
प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
क्या कहते हैं चुनाव विशेषज्ञ?
चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि सीक्रेट वोटिंग प्रणाली को हटाना संवैधानिक
दृष्टि से उचित नहीं होगा। पार्षदों को यह अधिकार है कि वे अपने मत का प्रयोग
बिना किसी दबाव या डर के करें। दूसरी ओर, पारदर्शिता की मांग करने वाले नेता
भी अपनी जगह सही हैं, लेकिन इसके लिए चुनावी सुधार और कड़े नियमों की आवश्यकता
है।