चंडीगढ़ :
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सिटिंग जज को धमकी की धारणा पर केंद्र शासित
प्रदेश (यूटी) प्रशासन द्वारा अपनाए गए विरोधाभासी रुख पर नाराजगी जताई है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में चंडीगढ़ ट्रैफिक एसएसपी सुमेर प्रताप सिंह को तलब
करते हुए 13 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
यह मामला सितंबर 2024 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक जज की सुरक्षा में
हुई चूक से संबंधित है। घटना के दौरान एक व्यक्ति ने जज के निजी सुरक्षा
अधिकारी (पीएसओ) की बंदूक छीनने का प्रयास किया था। हाईकोर्ट ने इस घटना का
स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी।
सुरक्षा रिपोर्ट में विरोधाभास
अदालत ने पाया कि एसएसपी, ट्रैफिक (सुरक्षा) की रिपोर्ट के अनुसार जज को खतरे
की धारणा “बढ़ गई है।” यह रिपोर्ट 27 नवंबर, 2024 को यूटी प्रशासन द्वारा
अदालत में प्रस्तुत रुख से विपरीत है, जिसमें सुरक्षा को पर्याप्त बताया गया
था।
क्लोजर रिपोर्ट तैयार
जांच अधिकारी ने अदालत को अवगत कराया कि सुरक्षा चूक की घटना में एक क्लोजर
रिपोर्ट तैयार की गई है। हालांकि, हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इसे असंतोषजनक मानते
हुए ट्रैफिक एसएसपी को तलब किया।
सुरक्षा कड़ी करने का निर्देश
इससे पहले, हाईकोर्ट ने जज की सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल
(सीआरपीएफ) के तीन-चार जवानों को तैनात करने के निर्देश दिए थे। चीफ जस्टिस
शील नागू और जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने कहा, “खतरे की धारणा रिपोर्ट के
निष्कर्ष 27 नवंबर, 2024 को दिए गए बयान के विरोधाभासी प्रतीत होते हैं।”