पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से सवाल किया है कि हाईकोर्ट की
मूल इमारत को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (
यूएनईएससीओ ) विश्व धरोहर स्थल* घोषित करने के लिए किन नियमों और शर्तों
का पालन किया गया। इसके साथ ही पेरिस स्थित *ली कोर्बुज़िए फाउंडेशन और
चंडीगढ़ हेरिटेज कमेटी की कानूनी स्थिति पर भी जानकारी मांगी गई है। मामले की
अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी, जिसमें हाईकोर्ट को चंडीगढ़ प्रशासन के जवाब
का इंतजार है।
हाईकोर्ट की इमारत, जिसे फ्रांसीसी वास्तुकार ली कोर्बुसिए ने डिज़ाइन किया
था, 2016 में यूएनईएससीओ विश्व धरोहर स्थल घोषित की गई। चंडीगढ़ प्रशासन
ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति
याचिका दायर की। प्रशासन का तर्क था कि बरामदे का निर्माण करने के लिए
यूएनईएससीओ विश्व धरोहर समिति की मंजूरी आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए चंडीगढ़
प्रशासन को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के कोर्ट 1 के बाहर बरामदा निर्माण करने से
रोका। साथ ही, हाईकोर्ट को चंडीगढ़ प्रशासन के चीफ इंजीनियर के खिलाफ अवमानना
की कार्यवाही से भी रोक दिया।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने कहा
कि चंडीगढ़ प्रशासन को यह स्पष्ट करना होगा:
1. ली कोर्बुसिए फाउंडेशन, पेरिस की कानूनी स्थिति।
2. हाईकोर्ट की इमारत को यूएनईएससीओ धरोहर स्थल घोषित करने के नियम व
शर्तें।
3. चंडीगढ़ हेरिटेज कमेटी की कानूनी स्थिति।
अवमानना नोटिस
हाईकोर्ट ने यह भी नोट किया कि 2 सप्ताह की समयसीमा के बावजूद निर्माण कार्य
शुरू नहीं हुआ। इसके चलते चंडीगढ़ प्रशासन के चीफ इंजीनियर, सीबी ओझा को एक
पक्षकार बनाते हुए उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया गया।
जनहित याचिका पर सुनवाई
हाईकोर्ट में सचिव विनोद धत्तरवाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल
रही है। यह याचिका हाईकोर्ट के बुनियादी ढांचे, पार्किंग की समस्या, और वन
भूमि को गैर-वन भूमि में बदलने जैसे मुद्दों पर केंद्रित है।