मोहाली:
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस कस्टडी में हुए इंटरव्यू से जुड़े मामले में
बर्खास्त डीएसपी गुरशेर सिंह संधू ने मोहाली जिला अदालत में जमानत याचिका दायर
की थी, जिस पर 15 जनवरी को सुनवाई होगी। डीएसपी पर स्टेट क्राइम पुलिस
स्टेशन, मोहाली में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज
है। इस मामले में गुरशेर द्वारा लगाई गई जमानत याचिका पर सोमवार को
सुनवाई हुई। गुरशेर सिंह संधू के विदेश भागने की अटकलें भी लगाई जा रही थीं।
हालांकि, पंजाब पुलिस ने पहले ही उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी कर
रखा है।
कोर्ट में दी गई दलील
गुरशेर सिंह संधू ने अपनी जमानत याचिका में मुख्य रूप से दो दलीलें दी हैं।
उनका कहना है कि:
1.एफआईआर की वैधता पर सवाल:
स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को उन्होंने गलत ठहराया।
बलजिंदर सिंह उर्फ टाहला की शिकायत की जांच तत्कालीन एसएसपी संदीप गर्ग ने की
थी, जिन्होंने इसे झूठा पाया था। बावजूद इसके, रोपड़ के एसपी, जो एसएसपी गर्ग
से जूनियर थे, ने दोबारा जांच करते हुए एफआईआर दर्ज की।
2.लॉरेंस इंटरव्यू विवाद में बलि का बकरा बनाने का आरोप:
संधू ने दावा किया कि उन्हें लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू विवाद में
जानबूझकर फंसाया गया है।
ये दी थी स्टेट क्राइम सेल
स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर नंबर 33 में गुरशेर सिंह संधू पर
भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 465, 467, 468, 471 और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन
एक्ट की धारा 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शिकायत के अनुसार, डीएसपी संधू ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भोले-भाले
लोगों को निशाना बनाया। उन पर फर्जी शिकायत दर्ज कराकर पीड़ितों को जबरन
समझौता करने और इसके बदले पैसे वसूलने के आरोप हैं।
बलजिंदर सिंह ने जताया जान का खतरा
शिकायतकर्ता बलजिंदर सिंह उर्फ टाहला ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पंजाब एंड
हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि डीएसपी ने
उनके खिलाफ फर्जी शिकायत दर्ज कराईं और समझौते के नाम पर पैसे वसूल किए।
विजिलेंस विभाग की जांच भी जारी
विजिलेंस विभाग भी इस मामले की जांच कर रहा है। जांच में यह भी सवाल उठाए जा
रहे हैं कि आखिर क्यों और कैसे डीएसपी संधू को शिकायतें मार्क की जाती रहीं और
समझौतों के नाम पर फाइल बंद होती रही।