चंडीगढ़:नगर निगम चंडीगढ़ की हाल ही में हुई हाउस मीटिंग में मनीमाजरा की 7.8 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को लेकर सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी ने सीबीआई और होम सेक्रेटरी को शिकायत पत्र लिखा
है। शिकायत में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपये का घोटाला होने जा रहा है और भविष्य में अगर किसी स्तर पर जांच होती है तो उन्हें उसमें पार्टी न बनाया जाए, क्योंकि वह इस मामले का लगातार विरोध कर रहे
हैं।
बंटी का आरोप है कि नगर निगम की बैठक में जब इस प्रस्ताव का विरोध किया गया तो उन्हें और अन्य पार्षदों को जबरन बाहर कर दिया गया और उसके बाद प्रस्ताव को पास कर दिया गया। उनके अनुसार, प्रोजेक्ट को इस तरह डिजाइन
किया गया है कि एक निजी बिल्डर को फायदा मिले।
उन्होंने संदेह जताया कि 11 एकड़ भूमि को सीधे एकमुश्त देने की बजाय इसे कई हिस्सों में बांटा गया ताकि बिल्डर को पर्यावरण मंजूरी (एनवायरमेंट क्लियरेंस) की जरूरत न पड़े। इतना ही नहीं, पहले हाउस मीटिंग में सड़कों, पार्क और लाइट लगाने के प्रस्ताव पास कराए गए ताकि बिल्डर को इन बुनियादी सुविधाओं पर खर्च न करना पड़े और यह सब तैयार हालत में मिल जाए। बंटी ने कहा कि अगर निगम इन सुविधाओं का निर्माण करता है तो उनकी मेंटेनेंस की
जिम्मेदारी भी निगम पर होगी, जबकि बिल्डर इन्हीं को दिखाकर अपने फ्लैट ऊंचे दामों पर बेचेगा।
सीनियर डिप्टी मेयर ने दावा किया कि यह पूरा प्रोजेक्ट एक महाघोटाले की आड़ है, जिसमें खर्चा नगर निगम का होगा और मुनाफा बिल्डर का। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे पार्षद और अधिकारी जिम्मेदार होंगे जिन्होंने इस प्रस्ताव को हाउस में पास किया।
राजनीतिक और प्रशासनिक मिलीभगत का आरोप::
बंटी ने आरोप लगाया कि इस प्रोजेक्ट को पास कराने के पीछे कुछ पार्षदों और अधिकारियों की मिलीभगत है। उनका कहना है कि इस घोटाले में हाउस में बैठे वही लोग जिम्मेदार होंगे, जिन्होंने इस प्रस्ताव को जानबूझकर पास किया और किसी भी प्रकार की आपत्ति को दबा दिया।
खर्च निगम का, मुनाफा बिल्डर का:
सीनियर डिप्टी मेयर ने पूरे मामले को निगम और आम जनता के साथ धोखा बताया। उनके अनुसार, यह मॉडल इस तरह बनाया गया है कि बिल्डर को न्यूनतम लागत पर तैयार प्लॉट और मूलभूत सुविधाएं बनी-बनाई मिलें और वह बिना किसी बाधा के मुनाफा कमा सके। इस प्रोजेक्ट के आस-पास की जगह में खर्च नगर निगम करेगा, लेकिन फायदा पूरी तरह से प्राइवेट बिल्डर का होगा। निगम के फंड का इस्तेमाल किया जाएगा, जनता का टैक्स लगेगा और बिल्डर आराम से करोड़ों की कमाई करेगा।







