Sunday, November 9, 2025

जैन धर्म की प्राचीन विरासत दिंगबर तथा प्रचार का माध्यम श्वेताम्बर है: डा. सरिता महराज

करनाल:  उत्तर भारत क्षेत्र की  प्रवर्तनी साध्वी  डा.  सरिता जी महाराज ने कहा है कि जैन धर्म की विरासत दिगंबर मुनि स्वरूप है। हमारे तीर्थकंर दिगंबर थे। जैन धर्म की पंचीन परंपरा का पता दिगंबर आमना से मिलता हैं। उन्होंने कहा कि जैन धर्म की दोनों आमनाएं दिंगबर और श्वेतांबर महत्वपूर्ण है। दिगंबर से हमारी पाचरनता का पता चलता है। जब कि श्वेतांबर परंपरा के कारण जैन धर्म कन्याकुमारी से लेकर काश्मीर तक गांव गांव तक पहुंचा। उन्होंने बताया कि उन्होंने दिगंबरत्व पर पीएचडी की है। उन्होंने कहा जैन और बौद्ध धर्म दोनों भारत में ही हुए लेकिन बोद्ध धर्म भरत में दुर्लभ ळै। जब कि जैन धर्मगांव गांव में हैं। जैन धर्म में सबसे ज्यादा पुस्तकें ग्रंथ लिखे गए। जैन धर्म अंणु ब्रत को पहचान मिली। जैन संतों ने अंणु और परमाणु की खोज की थी। उन्होंने कहा कि जो भी आमनाएं हों लेकिन जैन धर्म एक हैं। हम सबक भगवान महाबीर और आदि नाथ के साथ 24 तीथंकर है। हमारे यहां हमारे तीथंकरों के पांचों कल्याण है।  वह आज  ससंघ श्री दिंगंबर जैन मंदिर में पहुंचीं। श्री दि जैन मंदिर, करनाल में चल रहे दश-दिवसीय दशलक्षण पर्व की आराधना के प्रम उत्तम त्याग धर्म की आराधना में भगवान के व शांतिधारा के विश्व के मंगल भी प्रार्थना की गई। उत्तम त्याग का अर्थ समझाते हुए प्रोफेसर एस सीजैन ने  बताया कि केवल धन, वस्त्र या भोजन का परित्याग त्याग धर्म नहीं बल्कि मोह तथा आसक्ति को त्याग छोडऩा त्याग होता है। बिना त्याग के किसी भी प्राणी का जीवन चल ही नहीं सकता। बादल जल का त्याग करते हैं। वृक्ष फलों को त्यागते करते हैं। बच्चों के लालन पालन के समय माता-पिता आराम का त्याग करते हैं। स्वस्थ रहने व धर्म का पालन करने के लिए आहार व अभक्ष का त्याग किया जाता है। ग्रहस्थ्य धर्म का पालन करते हुए ही बन देने व परोपकार के लिए दान देने का चलन है। इससे ही पापों का क्षय व पुण्य का अर्जन किया जाता जिसके देवगीत की प्राप्ति भी हो सकती है। अत: ग्रहान के लिए आंहार दान, औषधि दान, ज्ञानदान व अभयदान अपेक्षित माना गया है। आज दुधारस महापर्व के पावन अवसर पर  उत्तर भारतीय प्रविर्तनी पूज्य साध्वी श्री डा0 सरिता जी 100 का ससंघ श्री मंदिर जी के आगमन हुआ। जैन स्कूल के बच्चों ने सामुहिक गान, नृत्य ्रसे जन समुदाय का मन मोह लिया। जैन समाज की महिलाओं ने भी नृत्त्य भजन  अपनी कला का  प्रदर्शन किया। जैन गर्ल स्कूल के बच्चों व स्टाफ  का आभार प्रदर्शन विरेश जैन ने किया।  इस अवसर पर  निवेश जैन, जय प्रकाश जैत्र, दिनेश जैन, डी के.जैन का जैन, अंकुर जैन मादित जैन अशोक जैन कृष्णा राकेश जैन, रमन जैन नवीन जैन,सुरेन्द्र जैन  मौजूद थे।

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