Sunday, November 9, 2025

विपक्ष का आरोप महाघोटाले की गंध ! मनीमाजरा की 7.7 एकड़ जमीन बेचने से बिल्डर को फायदा तो निगम को होगा 300 करोड़ रुपये का नुकसान

चंडीगढ़ : नगर निगम की 26 अगस्त को हुई हाउस बैठक में मनीमाजरा की 7.7
एकड़ जमीन बेचने का एजेंडा जिस तरीके से पास किया गया है, उसने बड़ा
विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्षी पार्षदों ने इस फैसले को लोकतंत्र की
खुली अवहेलना और नगर निगम के इतिहास का एक महाघोटाला करार दिया है।

विपक्ष का आरोप है कि इस महत्वपूर्ण एजेंडे को पार्षदों तक समय पर नहीं
पहुँचाया गया। आधे से ज्यादा पार्षदों को इसकी कॉपी बैठक से पहले तक नहीं
मिली, और कुछ को यह महज कुछ मिनट पहले थमा दी गई। इसके बाद जब विपक्षी
पार्षद सवाल उठाने लगे तो उन्हें योजनाबद्ध तरीके से मार्शलों की मदद से
बैठक से बाहर कर दिया गया। पार्षदों को बाहर निकालने के बाद यह एजेंडा
बिना किसी चर्चा या विरोध के पारित कर दिया गया।

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विपक्ष का कहना है कि यह पूरा खेल किसी बड़े बिल्डर को फायदा पहुँचाने के
लिए पहले से रचा गया था। उनका आरोप है कि इस सौदे से नगर निगम को लगभग
200 से 300 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान  होगा। विपक्षी नेताओं ने मांग
की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो, एजेंडा तुरंत रद्द किया जाए और
दोबारा सभी पार्षदों की सहमति से इस पर चर्चा की जाए।

जमीन की असलियत क्या है?

जानकारी के मुताबिक, मनीमाजरा पॉकेट नंबर-6 का कुल एरिया 33 एकड़ है।
इसमें से कुछ हिस्से पर स्कूल, निरंकारी भवन और कब्रिस्तान पहले से बने
हुए हैं। इन हिस्सों को निकालने के बाद करीब  21 एकड़ जमीन बचती है । नगर
निगम पहले से ही इस जमीन के आधे हिस्से को ग्रीन बेल्ट और सड़क के लिए
विकसित कर रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस पूरी 21 एकड़ जमीन को प्राइम लोकेशन
मानकर बेचा जाए तो इसकी कीमत मौजूदा कीमत से तीन गुना ज्यादा मिल सकती
है। ऐसे में नगर निगम को भारी राजस्व का फायदा हो सकता है। लेकिन 7.7
एकड़ का सौदा जल्दबाजी में करने से निगम को बड़ा घाटा उठाना पड़ेगा।

विपक्ष की मांग , पारदर्शी तरीके से नीलामी की जाए:

विपक्षी पार्षदों ने स्पष्ट कहा है कि नगर निगम की संपत्ति से जुड़े हर
सौदे में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा जरूरी है। अगर खुले और पारदर्शी
तरीके से नीलामी की जाए तो न केवल निगम की आय बढ़ेगी बल्कि शहर के विकास
कार्यों के लिए भी फंड सुरक्षित रहेगा। विपक्ष ने यह भी कहा है कि जिस
जल्दबाजी और दबाव में यह एजेंडा पारित किया गया, वह भ्रष्टाचार और
मिलीभगत की ओर इशारा करता है। उनका कहना है कि गलत मंशा से इस एजेंडे को
पास कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया:
मनीमाजरा की जमीन बिक्री का यह मामला अब बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
विपक्ष इसे शहर के इतिहास का “महाघोटाला” बता रहा है, जबकि सवाल यह भी उठ
रहा है कि आखिर इतनी महत्वपूर्ण संपत्ति को इतनी जल्दी और बिना
पारदर्शिता के क्यों बेचा जा रहा है। अगर इस सौदे की उच्चस्तरीय जांच
नहीं हुई तो यह विवाद और गहराता जाएगा और आने वाले समय में नगर निगम पर
गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।

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