भरत अग्रवाल. चंडीगढ़ दिनभर।
पंजाब से आया आईपीएस ही यूटी पुलिस का एसएसपी लगेगा, या फिर पंजाब से आया आईएएस अफसर ही फाइनेंस सेक्रेटरी लगेगा, या फिर होम सेक्रेटरी हरियाणा का ही लगेगा—अब आगे से ऐसा नहीं होगा। जो भी अफसर डेपुटेशन पर चंडीगढ़ आएगा, उसकी ज्वाइनिंग के बाद ही उसकी पोस्टिंग तय होगी। एडमिनिस्ट्रेटर जब मर्जी किसी की पोस्टिंग कहीं भी, किसी दूसरी पोस्ट पर कर सकते हैं।
इस संबंध में चंडीगढ़ प्रशासन ने अपने नए सर्विस रूल्स तय कर दिए हैं, जिसमें ग्रुप ए से लेकर सी और अन्य सभी को शामिल किया गया है। 26 अगस्त को जारी हुई इस नोटिफिकेशन के बाद आशंका जताई जा रही है कि अन्य कैडर (डैनिश कैडर) के अधिकारियों को अहम विभागों में जिम्मेदारी मिल सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नए नोटिफिकेशन से चंडीगढ़ प्रशासन पर केंद्र का सीधा नियंत्रण और मजबूत होगा, जबकि पंजाब और हरियाणा की भूमिका और कमजोर हो सकती है। अब किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को चंडीगढ़ प्रशासन में डिपुटेशन पर लाने या उन्हें डिपुटेशन से वापस भेजने से पहले एडमिनिस्ट्रेटर की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। इसका मतलब यह है कि अब चंडीगढ़ प्रशासन में किसी भी प्रकार की नियुक्ति या बदलाव सिर्फ विभागीय स्तर पर तय नहीं होगा, बल्कि एडमिनिस्ट्रेटर की अनुमति जरूरी होगी।
इतना ही नहीं, गु्रप ए ,बी और सी कर्मचारियों की सेवाओं के लिए भर्ती नियम बनाने और उनमें संशोधन करने के लिए भी अब एडमिनिस्ट्रेटर की अनुमति जरूरी होगी। चंडीगढ़ प्रशासन ने कर्मचारियों की भर्ती और सेवा नियमों से जुड़े मामलों पर बड़ा कदम उठाया है। प्रशासन के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल की ओर से 26 अगस्त को जारी नए नोटिफिकेशन के तहत अब गु्रप ए , बी और सी पदों पर होने वाली नियुक्तियां, सेवा नियमों में किसी भी तरह का संशोधन और कर्मचारियों की डिपुटेशन प्रक्रिया केवल चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर की मंजूरी से ही हो सकेगी। आदेश में कहा गया है कि इससे पहले जारी सभी अधिसूचनाओं को आंशिक रूप से संशोधित किया जा रहा है और भविष्य में इनसे जुड़े सभी मामलों में प्रशासक की स्वीकृति अनिवार्य होगी।
पहले क्या था सिस्टम:
इससे पहले विभागों के प्रमुख अपने स्तर पर भर्ती से जुड़े प्रस्ताव तैयार करके प्रशासन के उच्चाधिकारियों के जरिए आगे बढ़ाते थे। कई मामलों में राज्य सरकारों (पंजाब और हरियाणा) से आए डिपुटेशनिस्ट अधिकारियों की पोस्टिंग और वापसी की प्रक्रिया अधिक लचीली थी। लेकिन अब इस नए आदेश के बाद सभी निर्णय एडमिनिस्ट्रेटर की मुहर से ही अंतिम माने जाएंगे।
क्यों है यह अहम :
यह आदेश ऐसे समय में आया है जब हाल ही में पंजाब सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर चंडीगढ़ प्रशासन में 60 : 40 अनुपात (पंजाब और हरियाणा से अधिकारियों की नियुक्ति का नियम) के उल्लंघन की शिकायत की थी। पंजाब सरकार का कहना था कि शिक्षा, वित्त, आबकारी और स्वास्थ्य जैसे अहम विभागों में पंजाब कैडर के अधिकारियों को नजऱअंदाज़ किया जा रहा है।
विवाद की आशंका:
चंडीगढ़ प्रशासन में हर बड़े बदलाव का सीधा असर पंजाब और हरियाणा की राजनीति पर पड़ता है। यह आदेश भी विवाद का कारण बन सकता है। पंजाब की पार्टियां इसे पंजाब के अधिकारों पर हमला बता सकती हैं, जबकि हरियाणा की ओर से कहा जा सकता है कि यह प्रशासनिक मजबूती की दिशा में कदम है। वहीं केंद्र सरकार का तर्क होगा कि यह आदेश पारदर्शिता और एकरूपता लाने के लिए है।
कर्मचारियों पर असर:
चंडीगढ़ प्रशासन में कार्यरत हजारों कर्मचारियों और अफसरों के लिए यह आदेश बेहद अहम है। अब नई भर्तियों की प्रक्रिया में देरी हो सकती है क्योंकि हर बार एडमिनिस्ट्रेटर की मंजूरी जरूरी होगी। डिपुटेशन पर आने और जाने वाले अधिकारियों को भी पहले से अधिक औपचारिकताओं से गुजरना पड़ेगा। सेवा नियमों में बदलाव के फैसले तेज़ी से लेने के बजाय अधिक केंद्रीकृत हो जाएंगे।
पंजाब और हरियाणा में हमेशा विवाद:
गौरतलब है कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा में हमेशा से विवाद रहा है। पंजाब का दावा रहा है कि चंडीगढ़ उसकी राजधानी है, वहीं हरियाणा भी बराबरी का हिस्सा मांगता रहा है। केंद्र सरकार अब तक इस संतुलन को बनाए रखने की कोशिश करती आई है।
प्रशासनिक विवाद को जन्म देने वाला आदेश:
चंडीगढ़ प्रशासन का यह नया आदेश आने वाले समय में बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक विवाद को जन्म दे सकता है। जहां एक ओर केंद्र का दावा होगा कि इससे प्रशासनिक कार्यप्रणाली और मज़बूत होगी, वहीं पंजाब और हरियाणा की राजनीति इसे अपने-अपने हितों के हिसाब से मुद्दा बनाएगी। स्पष्ट है कि अब चंडीगढ़ प्रशासन में नियुक्तियों और सेवा नियमों पर फाइनल वर्ड एडमिनिस्ट्रेटर का होगा और राज्यों की दखलअंदाजी पहले से कहीं कम रह जाएगी।
चंडीगढ़ प्रशासन में 60 : 40 नियम का महत्व:
चंडीगढ़ प्रशासन को चलाने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 1966 में नियम तय किए थे। उसके मुताबिक, चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाब और हरियाणा से अधिकारियों की नियुक्ति 60:40 के अनुपात में की जाएगी। चंडीगढ़ की राजधानी होने के नाते पंजाब का प्रशासनिक प्रतिनिधित्व हमेशा ज्यादा माना गया और इसे कानूनी तौर पर सुरक्षित भी किया गया। लेकिन पंजाब सरकार का कहना है कि इस परंपरा और नियम को लगातार तोड़ा जा रहा है।
अहम विभागों से बाहर किए गए पंजाब कैडर के अधिकारी:
मुख्य सचिव पंजाब ने चंडीगढ़ प्रशासन को 15 जुलाई 2025 को पत्र भेजा था। इसमें पंजाब डिपुटेशनिस्ट एसोसिएशन चंडीगढ़ के अध्यक्ष ने प्रतिनिधित्व सौंपते हुए यह मुद्दा उठाया। पत्र में बताया गया कि आबकारी, शिक्षा, वित्त और स्वास्थ्य जैसे अहम विभागों में पंजाब कैडर के आईएएस और पीसीएस अधिकारियों को नजऱअंदाज़ किया गया है। इन विभागों के पद अब अन्य कैडर के अधिकारियों को सौंप दिए गए हैं। पंजाब सरकार के मुताबिक, यह रुझान केवल पदस्थापन तक सीमित नहीं है बल्कि धीरे-धीरे प्रशासनिक ढांचे में पंजाब की भागीदारी को कमजोर करने की सुनियोजित कोशिश की जा रही है।







