पंचकूला, (हरियाणा): हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश कादयान और जयभगवान सैनी की तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया। इस अवसर पर अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा और हिंदी-हरियाणवी प्रकोष्ठ निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विमोचन की गई पुस्तकों में डॉ. ओमप्रकाश कादयान की पुस्तक विमर्श, जयभगवान सैनी की सैनिक जीवन: एक संघर्ष गाथा और दोनों के सहयोग से तैयार हरियाणवी कहानी संग्रह बसंत आण की उम्मीद शामिल हैं।
विमोचन के बाद डॉ. चंद्र त्रिखा ने कहा कि साहित्यकार समाज के दुख-दर्द को महसूस कर उसे शब्दों में ढालते हैं। उन्होंने बताया कि कालजयी साहित्य ही समाज का सही मार्गदर्शन करता है और आने वाली पीढ़ियों को दिशा प्रदान करता है। आज साहित्य की हर विधा में लेखन तो हो रहा है, लेकिन असरदार व प्रभावशाली साहित्य की संख्या कम है। उन्होंने लेखकों से आग्रह किया कि उनकी रचनाएं समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाली होनी चाहिए।
डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने पुस्तकों की सराहना करते हुए कहा कि साहित्य न केवल जीवन को दिशा देता है बल्कि समाज के उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि अच्छी पुस्तकें इंसान की सच्ची मित्र की तरह साथ निभाती हैं और गुरु की तरह मार्गदर्शन करती हैं। जब-जब समाज रास्ता भटकता है, तब-तब साहित्यकार ही उसे सही दिशा देने का काम करता है। उन्होंने साहित्य को तनावमुक्त जीवन और ज्ञानवर्धन का प्रमुख साधन बताया।
साहित्यकार ओमप्रकाश कादयान और जयभगवान सैनी ने भी अपने लेखन अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि पुस्तक विमर्श पुस्तक समीक्षाओं पर केंद्रित है, सैनिक जीवन: एक संघर्ष गाथा वीर सैनिकों की संघर्षमयी यात्रा को दर्शाती है, जबकि बसंत आण की उम्मीद में लोकजीवन की यथार्थ कहानियों का संग्रह है। इस अवसर पर अकादमी कोऑर्डिनेटर डॉ. विजेंद्र कुमार सहित अनेक साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।







