चंडीगढ़: पासपोर्ट कार्यालय में दस्तावेजों की बिना जांच के “फर्जी” घोषित कर देने का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। करणदीप नामक युवक ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था और 5 अगस्त को निर्धारित समय पर सभी दस्तावेजों के साथ कार्यालय पहुँचा। काउंटर C-3 पर मौजूद महिला अधिकारी रेनू यादव ने उसका जन्म प्रमाण पत्र यह कहते हुए फर्जी करार दे दिया कि उस पर टाइपिंग से जानकारी लिखी गई है।
करणदीप को अगले दिन फिर बुलाया गया। 6 अगस्त को वह अपने पिता के साथ दोबारा पासपोर्ट कार्यालय पहुँचा। इस बार उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जारी दो जन्म प्रमाण पत्र की प्रतियां दिखाईं और महिला अधिकारी से कहा कि वह खुद तय करें कि कौन सा असली है। जब उनसे लिखित में जवाब देने को कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया और कहा, “जहां शिकायत करनी है, कर दीजिए।“
हैरानी की बात यह रही कि उसी दस्तावेज को इस बार वैध मानते हुए पासपोर्ट आवेदन को स्वीकृति दे दी गई। यह मामला कई सवाल खड़े करता है — बिना जांच दस्तावेजों को फर्जी बताने की प्रक्रिया कितनी उचित है और आवेदकों को इस प्रकार बेवजह परेशान करना किसकी ज़िम्मेदारी है?