हिमांशु शर्मा, चंडीगढ़: पीजीआई चंडीगढ़ के एंडोस्कोपिक स्कल बेस सर्जन प्रोफेसर डॉ. एस.एस. धण्डापानी के नेतृत्व में डॉक्टर्स की एक टीम ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। टीम ने एक 2 वर्षीय बच्ची के मस्तिष्क में मौजूद 4.5 सेंटीमीटर बड़े दिमागी ट्यूमर (क्रेनियोफेरिंजियोमा) को नाक के रास्ते हटाने में सफलता पाई है। यह पूरी दुनिया में ऐसा केवल दूसरा मामला है जब इतना बड़ा ब्रेन ट्यूमर नाक के जरिए हटाया गया है।
उत्तर प्रदेश के अमरोहा से आई यह बच्ची बीते चार महीनों से दोनों आंखों की रोशनी कम होने की शिकायत से जूझ रही थी। भर्ती के समय बच्ची कुछ भी नहीं देख पा रही थी और उसकी पिट्यूटरी हार्मोन की मात्रा भी बेहद कम पाई गई। जांच में सामने आया कि बच्ची के दिमाग में एक विशालकाय, कैल्सीफाइड ब्रेन ट्यूमर ऑप्टिक नसों और हाइपोथैलेमस जैसे अत्यंत नाजुक भागों के पास स्थित था।
आमतौर पर ऐसे ट्यूमर के लिए खोपड़ी खोलकर ऑपरेशन किया जाता है, लेकिन छोटे बच्चों में नाक के जरिए एंडोस्कोपिक सर्जरी करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। प्रो. धण्डापानी की टीम ने पहले भी दुनिया की सबसे कम उम्र की बच्ची (16 महीने) में 3.4 सेमी के ऐसे ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया था। लेकिन 4 सेमी से बड़े ट्यूमर, जिन्हें “जायंट ट्यूमर” कहा जाता है, का नाक से ऑपरेशन सिर्फ एक बार स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में किया गया था। यह दुनिया में ऐसा दूसरा मामला है।
इस ऐतिहासिक सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम में डॉ. एस.एस. धण्डापानी, डॉ. रिजुनीता, डॉ. शिव सोनी, डॉ. सुशांत, डॉ. धवल और डॉ. संजोग शामिल रहे। सर्जरी के लिए सीटी एंजियोग्राफी और नेविगेशन की मदद से विस्तृत योजना बनाई गई। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. रिजुनीता ने नाक का मार्ग बनाया, जबकि ब्रेन ट्यूमर निकालने की प्रक्रिया डॉ. धण्डापानी ने पूरी की।
नाक के रास्ते पहुंचने में कई चुनौतियां थीं, क्योंकि बच्ची के साइनस और हड्डियां पूरी तरह विकसित नहीं थीं। सामान्य वायुमार्ग भी मौजूद नहीं था, जिससे ट्यूमर तक पहुंचना और कठिन हो गया। डायमंड ड्रिल की मदद से हड्डियों को सावधानी से हटाया गया। एंडोस्कोप और माइक्रो-इंस्ट्रूमेंट्स की मदद से ट्यूमर को नाजुक नसों से अलग कर पूरी तरह से हटाया गया। ब्रेन फ्लुइड के रिसाव को रोकने के लिए नाक की अंदरूनी त्वचा से फ्लैप लेकर ऑपरेशन क्षेत्र को सील किया गया।
सिर्फ 250 मिलीलीटर खून बहने के साथ 6 घंटे की इस जटिल सर्जरी के बाद बच्ची को आईसीयू में रखा गया और अब वह पूरी तरह ठीक हो रही है। सर्जरी के 10 दिन बाद बच्ची सामान्य है और सीटी स्कैन में ट्यूमर लगभग पूरी तरह से हट चुका है। यह सफलता न सिर्फ पीजीआई के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। 2 साल की उम्र में इतनी जटिल ब्रेन सर्जरी का नाक के रास्ते सफल इलाज करना निस्संदेह न्यूरोएंडोस्कोपी के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर है।