Wednesday, August 13, 2025

सरकारी संसाधनों पर निजी ताले, जनता खाए अंधेरे में निवाले- बिजली विभाग के नायक फिर नदारद!

रायपुररानी, देवेन्द्र सिंह: पंचकूला ज़िले का बिजली विभाग एक बार फिर सुर्ख़ियों में है, लेकिन इस बार वजह किसी नई योजना, उपभोक्ता सेवा या नवाचार की नहीं, बल्कि गंभीर लापरवाही, गहरी नींद और सरकारी संसाधनों के गायब जादू की है। गांव बतौड़ की एक कॉलोनी में बीती रात अचानक बिजली के खंभे से जुड़ी तार जल गई, जिससे पूरी कॉलोनी अंधेरे में डूब गई। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बिजली विभाग पूरी तरह बेख़बर रहा और कॉलोनीवासी गर्मी, उमस और मच्छरों के बीच तड़पते रहे।

जानकारी देते हुए समाजसेवी एडवोकेट मनीष कुमार ने बताया कि उन्होंने रात 11:30 बजे ही बिजली विभाग को बार-बार कॉल कर सूचना दी, लेकिन ना तो कोई लाइनमैन आया, ना ही कोई अधिकारी जवाब देने को तैयार हुआ। थक-हारकर वे स्वयं रात 12:37 बजे पावर हाउस पहुँचे और शिकायत रजिस्टर में लिखित शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद विभागीय जेई को भी सूचना दी गई, तब जाकर एक कर्मचारी को मौके पर भेजा गया। लेकिन असली हैरानी तो तब हुई जब कर्मचारी ने मौके पर पहुँचकर बताया कि खंभे पर चढ़ने के लिए आवश्यक लैडर और लिफ्टर वाहन विभाग के पास मौजूद नहीं हैं, क्योंकि वे कुछ कर्मचारियों ने निजी इस्तेमाल के लिए अपने घर ले रखे हैं।

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जिसके बाद जब लिफ्टर ड्राइवर और अन्य कर्मचारियों को कॉल किए गए तो किसी ने फोन नहीं उठाया और लिफ्टर का ड्राइवर तो फोन स्विच ऑफ कर आराम की नींद सो रहा था। इस गैर-ज़िम्मेदाराना रवैये के चलते कॉलोनीवासियों को पूरी रात भीषण गर्मी, उमस और मच्छरों के बीच गुज़ारनी पड़ी। छोटे बच्चों, बुज़ुर्गों और महिलाओं को सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। एडवोकेट मनीष कुमार ने बताया कि उन्होंने रात में ही व्हाट्सएप के माध्यम से जेई और एसडीओ को भी शिकायत भेजी, लेकिन किसी ने प्रतिक्रिया देना ज़रूरी नहीं समझा, बल्कि परेशान जनता के फोन तक नहीं उठाए गए। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को केवल एक तकनीकी ख़राबी नहीं, बल्कि सरकारी संसाधनों के खुलेआम दुरुपयोग और आपातकालीन स्थितियों में घोर लापरवाही करार दिया, जो आमजन की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। वहीं, एडवोकेट मनीष कुमार ने उपायुक्त मोनिका गुप्ता को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि लापरवाही मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख़्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।

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