Thursday, August 14, 2025

एमबीबीएस में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तुंरत करे लागू

भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: आरक्षण के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि वह एमबीबीएस की सीट्स में 27 प्रतिशत ओबीसी (नॉन-क्रीमी लेयर) आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू करे। यह फैसला स्पेशल लीव पिटीशन के अंतर्गत आया है, जिसे चंडीगढ़ निवासी धू्रवी यादव द्वारा दायर किया गया था। इसकी पैरवी धू्रवी यादव के पिता विनय यादव ने की। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आदेश में कहा कि भारत सरकार ने ओबीसी
(नॉन-क्रीमी लेयर) उम्मीदवारों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। जब केंद्र सरकार इस नीति को स्वीकृत कर चुकी है, तो कोई वजह नहीं रह जाती कि इसे चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा लागू न करे।  कोर्ट ने आदेश दिए कि एक सप्ताह के भीतर  चंडीगढ़ प्रशासन केंद्र सरकार की सिफारिशों के अनुसार नियमों में संशोधन करे और सभी संबंधित संस्थानों में 27 प्रतिशत ओबीसी (नॉन-क्रीमी लेयर) आरक्षण लागू किया जाए। यदि यह आदेश तय समय पर लागू नहीं होता है, तो आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे।

2019 से जारी है संघर्ष, धू्रवी यादव की कानूनी लड़ाई:
सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे एक लंबा संघर्ष है, जो वर्ष 2019 से चला आ रहा है। धूवी यादव, जो कि सेक्टर 49-डी, चंडीगढ़ की निवासी हैं, ने नीट -यूजी 2019 की परीक्षा में ओबीसी कोटे के तहत 45785 रैंक प्राप्त किया था। उन्होंने चंडीगढ़ के एकमात्र मेडिकल कॉलेज गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल(जीएमसीएच -32) में एमबीबीएस कोर्स के लिए आवेदन किया, लेकिन कॉलेज द्वारा जारी किए गए प्रॉस्पेक्टस में ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं दिया गया था।

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका खारिज:
धू्रवी यादव ने सबसे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से याचिका खारिज हो गई थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और जीएमसीएच-32, भारत सरकार एवं चंडीगढ़ प्रशासन को पक्षकार बनाया था।

संविधान का उल्लंघन और भेदभाव का आरोप:
धू्रवी के पिता विनय यादव जोकि केस की खूद पैरवी कर रहे थे, का तर्क था कि जीएमसीएच -32 एक केंद्रीय वित्त पोषित संस्थान है, और चंडीगढ़ प्रशासन पहले से ही ओबीसी को नियुक्तियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देता है। ऐसे में
शिक्षा में आरक्षण से इनकार करना अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 15(4) का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में यह भी बताया कि 15 प्रतिशत ऑल इंडिया कोटे की सीटों में ओबीसी आरक्षण लागू है, लेकिन 85 प्रतिशत चंडीगढ़ डोमिसाइल सीटों पर यह लागू नहीं किया गया  जो चंडीगढ़ के स्थानीय छात्रों के साथ भेदभाव है।

कोर्ट के पुराने फैसले:
धू्रवी यादव ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के अन्य केस का हवाला भी दिया, जिसमें अदालत ने एक छात्रा को ओबीसी आरक्षण के तहत जीएमसीएच-32 में प्रवेश देने का आदेश दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का भी उल्लेख किया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को वैध ठहराया था।

सरकार की देरी और न्यायालय की नाराजगी:
सुनवाई के दोरान केंद्र सरकार ने अदालत से पहले 6 सप्ताह और फिर 8 सप्ताह का समय मांगा, जिससे सुप्रीम कोर्ट नाराज दिखी। अब इस आदेश में न्यायालय ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो सख्त कदम उठाए जाएंगे।

चंडीगढ़ के छात्रों को मिलेगा हक:
इस आदेश के बाद जीएमसीएच -32 सहित चंडीगढ़ की सभी केंद्रीय वित्त पोषित संस्थाओं को एमबीबीएस सहित सभी शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करना अनिवार्य होगा। इससे चंडीगढ़ के हजारों ओबीसी वर्ग के छात्रों को शिक्षा में समान अवसर मिलेगा।

यह केवल मेरी नहीं, हम सभी की जीत है:
धू्रवी यादव के पिता विनय यादव ने चंडीगढ़ दिनभर से बातचीत में कहा कि मैंने यह लड़ाई अपने लिए नहीं, बल्कि उन सैकड़ों छात्रों के लिए लड़ी है, जिनका हक हर साल छीना जाता है। यह न्याय की जीत है और संविधान के अधिकारों की रक्षा है। यह देश के हजारों पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए एक संवैधानिक जीत है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकारें अपने कर्तव्यों में कोताही बरतेंगी, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप करके नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगी।

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