भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता सुभाष चावला ने ‘दिनभर न्यूज’ के पॉलिटिकल एडिटर तरलोचन सिंह से खास बातचीत में अपने राजनीतिक सफर, संघर्ष और अनुभवों को बेबाकी से साझा किया। चावला ने कहा कि वह चंडीगढ़ की नींव से जुड़े चुनिंदा नेताओं में से हैं। उन्होंने बताया, “मेरे नानके परिवार पाकिस्तान से सीधे मनीमाजरा में आकर बसे थे और फिर 1952 में मेरे दादा जी भी यहां बस गए। सेक्टर 22 का बजवाड़ा इलाका तीन बार विस्थापन का शिकार हुआ। मेरे पिता उस समय तुड़ी बेचने का काम करते थे और किसान भवन जहां आज है, वहीं शिफ्ट हो गए थे।”
राजनीति में आने से पहले तुड़ी बेची, फिर बने ग्वालों के प्रधान
चावला ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, “मैंने पहले तुड़ी बेची। इसके बाद ग्वालों का प्रधान बना, फिर रामलीला मंडली का नेतृत्व किया। मेरी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस के यूथ विंग से हुई। उस दौर में कांग्रेस की बहुत धमक थी। एक बार संजय गांधी सेक्टर 14 की कॉलोनी में कैंप के दौरान आए थे। बारिश के चलते कीचड़ था, तो उन्हें हमने कंधों पर उठाकर मंच तक पहुंचाया। इस घटना के बाद इलाके में हमारी बल्ले-बल्ले हो गई थी।” उन्होंने इंदिरा गांधी से जुड़ी एक दिलचस्प याद साझा करते हुए कहा, “इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं, तो एक बार वो खुद मिठाई की प्लेट लेकर हमारे पास आई थीं। आज वैसा व्यवहार नेताओं में कहां देखने को मिलता है।”
दो बार बने मेयर, लेकिन सांसद बनने की दौड़ में नहीं आए
चावला ने कहा कि वह दो बार जनरल कैटेगरी से चंडीगढ़ के मेयर बने, लेकिन कभी सांसद बनने की कोशिश नहीं की, इसलिए विवादों से बचे रहे। “मैंने कांग्रेस में 47 साल बिताए। इस दौरान लाठियां खाईं, जेल गया, लेकिन जब नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की हार हुई तो मैंने पूरी जिम्मेदारी खुद ली। हाईकमान ने मुझसे लिखित में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन मैंने किसी और पर दोष नहीं डाला।”
बंसल को टिकट न मिलने की वजह लॉबी, तिवारी ने रखा दूरी
सुभाष चावला ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन कुमार बंसल को टिकट न मिलने के पीछे हाईकमान के अंदर एक लॉबी काम कर रही थी। “बंसल जी ने हमेशा मेरा साथ दिया और मुझे सम्मान दिया। लेकिन वर्तमान सांसद और कांग्रेस के प्रधान मनीष तिवारी को लगता था कि मैं बंसल का खास हूं, इसलिए उन्होंने हमेशा मुझ पर संदेह किया। मुझे पार्टी की मुख्य बैठकों में तक नहीं बुलाया गया। ऐसे में मैंने राजनीति से रिटायरमेंट का मन बना लिया था, लेकिन परिवार के कहने पर बीजेपी जॉइन कर ली।”
बबला से नाराजगी की वजह भी सामने रखी
उन्होंने बताया कि जब दविंदर सिंह बबला बीजेपी में आए, तब केंद्र में कांग्रेस सत्ता से बाहर थी। कांग्रेस में रहते हुए बबला ने नगर निगम चुनाव में दो सीटों से टिकट मांगी थी। चावला ने बताया, “मुझसे एक वरिष्ठ नेता ने कहलवाया कि बबला जी को एक से ज्यादा सीट नहीं दी जा सकती। इसी बात को लेकर नाराजगी और कहासुनी हो गई थी।”
राजनीति छोड़ने का मन था, लेकिन अब बीजेपी में नई शुरुआत
चावला ने बातचीत के अंत में कहा कि राजनीति छोड़ने का इरादा बना लिया था, लेकिन अपनों की सलाह पर बीजेपी में नई पारी शुरू की। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब वह बीजेपी में रहते हुए चंडीगढ़ की सेवा पूरी निष्ठा से करेंगे।