Thursday, August 14, 2025

रिहायशी मकान पर जबरन भेजा जा रहा कमर्शियल प्रॉपर्टी टैक्स

भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच पर अब गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं। कारण है—उनकी ऐसी लापरवाही और उदासीनता, जिसके चलते शहर के सैकड़ों परिवारों को मानसिक और आर्थिक दोनों तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। निगम द्वारा कई रिहायशी मकानों को बिना सही पड़ताल किए कमर्शियल घोषित कर टैक्स नोटिस भेजे जा रहे हैं। ऐसे ही एक ताजा मामला सामने आया है सेक्टर 41 स्थित गांव बटरेला के मकान नंबर 106 का, जहां पिछले कई वर्षों से मकान मालिक गलत टैक्स के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है लेकिन अभी तक
कोई समाधान नहीं हुआ। बटरेला गांव स्थित इस मकान में कभी दो छोटी दुकानों बनी हुई थी। लेकिन वर्ष 2018 में मकान मालिक ने इसे पूरी रि-कंट्रक्शन कर नए सिरे से रिहायशी मकान में तब्दील कर दिया। न तो अब वहां दुकानें हैं, न ही कोई व्यावसायिक गतिविधि। बावजूद इसके, नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच आज तक उस मकान को कमर्शियल कैटेगरी में दिखाकर टैक्स भेज रही है। लोगों की मांग है कि ऐसे मामलों की गहन जांच की जाए, सभी लंबित मामलों की
समीक्षा की जाए और जिन मकानो को गलत तरीके से कमर्शियल टैक्स के दायरे में डाला गया है, उनके रिकॉर्ड को शीघ्र ठीक किया जाए। साथ ही, वर्षों से हो रही मानसिक और आर्थिक क्षति की भरपाई का भी कोई रास्ता निकाला जाए।

लगातार दिए गए आवेदन, फिर भी नहीं सुधरा रिकॉर्ड:
मकान मालिक के भतीजे तजींदर सिंह ने बताया कि 2018 से लेकर अब तक वह कई बार निगम दफ्तर में जाकर अधिकारियों को लिखित आवेदन दे चुके हैं कि मकान अब पूरी तरह से रेजीडेंशियल है, इसलिए कमर्शियल टैक्स हटाकर रेजीडेंशियल कैटेगरी में लाया जाए। इसके बावजूद निगम के रिकॉर्ड में कोई बदलाव नहीं किया गया। वर्ष 2022 में नगर निगम के टैक्स विभाग की टीम खुद मौके पर सर्वे के लिए पहुंची थी। उन्होंने मकान की तस्वीरें लीं, निरीक्षण भी किया, और यह स्पष्ट था कि अब वह मकान पूरी तरह से एक पारिवारिक निवास है।\ लेकिन हैरानी की बात यह है कि तीन साल बीतने के बाद भी न तो रिकॉर्ड बदला गया और न ही गलत टैक्स हटाया गया।

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25 हजार रूपए तक पहुंचा टैक्स:
मकान मालिक के अनुसार, निगम द्वारा लगातार भेजे गए कमर्शियल टैक्स के कारण अब तक करीब 25 हजार रूपए का बकाया बन चुका है। यह राशि हर साल बढ़ती जा रही है। परिवार कहता है कि इस टैक्स को भरना न सिर्फ अन्याय है
बल्कि यह पूरी तरह अवैध है, क्योंकि उस मकान में अब किसी भी प्रकार की दुकान नहीं है। इतना ही नहीं, जब मकान मालिक टैक्स ब्रांच में अपनी समस्या लेकर जाते हैं, तो वहां बैठे अधिकारी न तो समय देते हैं और न ही समाधान। फाइलें इधर-उधर घुमाई जाती हैं और हर बार नया बहाना सामने आ जाता है।

सिर्फ एक नहीं, ऐसे सैकड़ों मामले शहर में:
यह मामला केवल बटरेला गांव के एक मकान तक सीमित नहीं है। चंडीगढ़ शहर में ऐसे सैकड़ों रेजीडेंशियल मकान मालिक हैं जो नगर निगम की इसी तरह की गड़बडिय़ों के शिकार हैं। बिना रिकॉर्ड अपडेट किए, वर्षों पुरानी जानकारी
के आधार पर उन्हें आज भी कमर्शियल टैक्स नोटिस भेजे जा रहे हैं।

बहुत परेशान हो गए हैं। नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच बार-बार नोटिस भेज रही है, जबकि हम कई बार लिखित में सूचित कर चुके हैं कि हमारा मकान पूरी तरह से रिहायशी है। ऐसे में कमर्शियल टैक्स कैसे बन सकता है? लेकिन कोई अधिकारी इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा। — तजींदर सिंह, मकान नंबर 106, गांव बटरेला

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