भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: चंडीगढ़ कांग्रेस इन दिनों गुटबाजी, आरोप-प्रत्यारोप और आंतरिक झगड़ों की दलदल में बुरी तरह उलझी हुई है। ताजा मामला गुरुवार को सामने आया, जब चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष एच.एस. लक्की और पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपिंदर सिंह बढहेड़ी के बीच सोशल मीडिया के माध्यम से एक ऐसी बहस शुरू हो गई, जिसने पूरे शहर में हलचल मचा दी। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर न केवल गद्दारी जैसे गंभीर आरोप लगाए, बल्कि व्यक्तिगत टिप्पणियों से भी परहेज़ नहीं किया। यह सारा घटनाक्रम अब कांग्रेस आलाकमान के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ा है।
गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष एच.एस. लक्की ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट (फेसबुक) पर एक फोटो साझा की। यह एक सामान्य पोस्ट थी, लेकिन उस पर भूपिंदर सिंह बढहेड़ी ने जो सार्वजनिक टिप्पणी की, उसने राजनीति की ज़मीन
हिला दी।
भूपिंदर ने लिखा कि मौका देखकर अपना स्टैंड बदल लेते हो। आज तक जिसने भी तुम्हारा साथ दिया, उसे धोखा दिया। कोई तुम्हारे साथ दिल से नहीं है। जिस दिन तुम अध्यक्ष पद से हटोगे, उसी दिन पता चल जाएगा कि तुम्हारे साथ
कितने लोग हैं। जो लोग सच्चा स्टैंड लेते हैं, उनके साथ परमात्मा होता है। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से लक्की के नेतृत्व और उनके संगठन में विश्वास की कमी को उजागर करने की
कोशिश थी।
लक्की का जवाब: सोशल मीडिया पर नहीं, सीधे व्हाट्सएप पर
इस तीखी टिप्पणी का जवाब लक्की ने सार्वजनिक रूप से नहीं दिया, बल्कि सीधे भूपिंदर सिंह बढहेड़ी को व्हाट्सएप संदेश भेजकर दिया। लक्की के कथित व्हाट्सएप संदेश में लिखा गया कि तू और तेरा बॉस पार्टी से गद्दारी कर चुके हो। तूने कभी पार्टी का साथ नहीं दिया। ये सिर्फ एक बार नहीं, कई बार किया है। गद्दार तो तू और तेरा बॉस हो। रब्ब तेनू चंगी मत देवे। दारू पीनी कम कर दे, दिमाग खराब हो जाता है। लक्की का यह जवाब खुद में बेहद तीखा, व्यक्तिगत और असामान्य था, जिसने कांग्रेस के अंदर चल रही सियासी खींचतान को पूरी तरह उजागर कर दिया।
तीसरा वार: सोनू पंडित उर्फ राजीव मोदगिल की खुली चेतावनी
इस तीखी बहस में तीसरे नेता की भी एंट्री हो गई, कांग्रेस नेता सोनू पंडित उर्फ राजीव मोदगिल। उन्होंने भूपिंदर सिंह बढहेड़ी के बयान को सार्वजनिक रूप से आड़े हाथों लिया और कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि भूपिंदर जी, आपने सार्वजनिक मंच पर कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ जिस तरह के गलत शब्दों का उपयोग किया है, वह बर्दाश्त के बाहर है। इससे पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान हुआ है। आप सीनियर कांग्रेसी हो, यह शोभा नहीं देता। मैं हाईकमान से अपील करता हूं कि आपके खिलाफ संगठनात्मक कार्रवाई की जाए।
सत्ता से दूर रह चुकी कांग्रेस और अंदर से असंतुलित संगठन:
चंडीगढ़ कांग्रेस पहले से ही लंबे समय से सत्ता से बाहर रही है। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेता अगर एक-दूसरे के खिलाफ इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल करें और सार्वजनिक मंच पर एक-दूसरे को गद्दार तक कह डालें, तो सवाल खड़ा होता है कि कांग्रेस अपने ही गढ़ में कितना संगठित और अनुशासित है? जानकारों का मानना है कि यह झगड़ा केवल व्यक्तिगत मतभेद नहीं है, बल्कि गुटबाजी, टिकट की राजनीति और भविष्य की नेतृत्व संरचना को लेकर चल रही अंदरूनी लड़ाई का हिस्सा है।
चर्चा का विषय बना विवाद:
यह विवाद अब केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शहर की गलियों, राजनीतिक हलकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। हर कोई यही पूछ रहा है कि चंडीगढ़ कांग्रेस में असली गद्दार कौन? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए अब कांग्रेस हाईकमान की चुप्पी को तोडऩा होगा।