Thursday, August 14, 2025

 निगम के अधिकारियो की लापरवाही में फंसी रूहों की मुक्ति

भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: सेक्टर 25 की श्मशान घाट में पिछले 18 महीनों से सैकड़ोंलावारिस मृतकों की अस्थियां विसर्जन का इंतजार कर रही हैं, लेकिन नगरनिगम की बेरुखी और फैसले न ले पाने की कार्यशैली ने इन रूहों की मुक्ति में भी बाधा डाल दी है। नगर निगम के पास न समय है और न ही प्राथमिकता, जिससे इन अस्थियों का धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार करने के बाद अस्थियों का विसर्जन किया जा सके। शहर के कई एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ता मुफ्त में अस्थियों के विसर्जन को तैयार हैं, परंतु निगम की अनुमति न मिलने के कारण
वे भी हाथ बांधे खड़े हैं। मार्च 2024 से पहले तक, एक स्थानीय संस्था हर तीन महीने में इन लावारिस अस्थियों का विधिवत विसर्जन करती थी। लेकिन जब से नगर निगम ने खुद यह जिम्मेदारी ली है, तब से एक भी विसर्जन नहीं हुआ है।

संवैधानिक अधिकार का हनन:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 भले ही जीवित व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करता है, लेकिन न्यायालयों ने यह स्पष्ट किया है कि मृतकों को भी गरिमामय अंतिम संस्कार का अधिकार है। वहीं अंतिम संस्कार का अंतिम चरण अस्थियों का विसर्जन होता है, जिसे नगर निगम के अधिकारी नजरअंदाज कर रहे है। यह न केवल धार्मिक भावना का अपमान है बल्कि कानून के मूल भाव का भी उल्लंघन है।

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निगम ने खुद रोका रास्ता:
नगर निगम की जनरल हाउस मीटिंग में अगस्त 2024 में एक एजेंडा लाया गया था, जिसमें हरिद्वार में अस्थियों के विसर्जन पर कुल करीब 3 लाख 50 हजार रूपए का खर्च प्रस्तावित किया गया था। इसमें एक कर्मचारी का वेतन 2 लाख 59 हजार 200, गाड़ी का किराया 24 हजार रूपए, मटके पर 5 हजार और अन्य खर्चे  के लिए 54 हजार रूपए  रूपए खर्च किए जाने थे। लेकिन सितंबर 2024 की जनरल हाउस मीटिंग में जीरो ऑवर में इस मुद्दे पर चर्चा मात्र हुई और फिर यह एजेंडा रद्द कर दिया गया था।

न कोई नई योजना, न आदेश :
तब से अब तक कोई नया आदेश या योजना इस दिशा में लागू नहीं हुई, जिससे साफ है कि नगर निगम इस गंभीर विषय पर कोई ठोस कदम उठाने के मूड में नहीं है। यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि मृतकों के साथ संवैधानिक और धार्मिक अनादर है। जब जीवित लोगों के अधिकारों की रक्षा की बात होती है, तब मृतकों के सम्मान और मुक्ति को भुला देना किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है। नगर निगम को तुरंत इस दिशा में ठोस निर्णय लेकर, लावारिस
अस्थियों का सम्मानजनक विसर्जन सुनिश्चित करना चाहिए।

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