भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: सेक्टर-25 स्थित श्मशान घाट में स्थापित आधुनिक एलपीजी-सीएनजी बेस्ड क्रिमेशन फर्नेस पिछले करीब 10 दिनों से खराब पड़ा है, जिससे यहां शवों का संस्कार पूरी तरह से बंद हो गया है। खास बात यह है कि इस श्मशान घाट में महज 30 रूपए में शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था, जो विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और लावारिस शवों के लिए एक बड़ी राहत थी। अब इस सेवा के बंद हो जाने से न केवल गरीब परिवारों को भारी परेशानी हो रही है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल अंतिम संस्कार की दिशा में उठाया गया एक सराहनीय कदम भी ठप हो गया है।
शनिवार को नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी ने सेक्टर-25 स्थित श्मशान घाट का निरीक्षण किया। मौके पर उन्होंने पाया कि एलपीजी-सीएनजी फर्नेस की चिमनी उखड़ी हुई है और उसे एक तरफ रख दिया गया है। बंटी के पूछने पर वहां मौजूद पदाधिकारियो ने बताया कि यह फर्नेस पिछले 10 दिनों से खराब पड़ा है और तब से यहां शवों का कोई भी दाह-संस्कार नहीं हो पा रहा है। बंटी ने इस पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि यह चंडीगढ़ नगर निगम की लापरवाही का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह सुविधा खासतौर पर गरीब, बेसहारा और लावारिस शवों के लिए बनाई गई थी और इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहता था। अब यह सेवा बंद हो गई है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मजबूरी में खुले में परंपरागत तरीके से संस्कार करना पड़ रहा है, जिससे प्रदूषण और अस्थियों की प्राप्ति में भी देरी हो रही है।
पर्यावरण हित में था यह फर्नेस, मात्र 30 रूपए में सम्मानजनक संस्कार:
सेक्टर-25 के श्मशान घाट में लगाए गए एलपीजी-सीएनजी बेस्ड क्रिमेशन फर्नेस की कई विशेषताएं हैं। इसमें न तो लकड़ी की आवश्यकता होती है और नही इससे धुआं निकलता है, जिससे पर्यावरण पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता। इस
प्रणाली के माध्यम से एक शव का संस्कार महज एक घंटे में हो जाता है और डेढ़ घंटे के भीतर अस्थियां प्राप्त हो जाती हैं, जबकि परंपरागत तरीके में अस्थियां 48 घंटे बाद ही मिल पाती हैं। इस आधुनिक फर्नेस में प्रति शव 18 किलो गैस की खपत होती है और नगर निगम को प्रति संस्कार करीब 1500 रूपए का खर्च आता है। बावजूद इसके नगर निगम इसे मात्र 30 रूपए में गरीबों के लिए उपलब्ध करा रहा था, जो एक बेहद जनहितकारी कदम था। फर्नेस में गैस का दबाव बनाए रखने के लिए 90 गैस सिलेंडरों की श्रृंखला एक साथ उपयोग होती है।
बंटी का वादा, निगम की अगली बैठक में उठेगा मुद्दा:
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी ने घोषणा की कि वह इस मुद्दे को आगामी नगर निगम जनरल हाउस मीटिंग में प्रमुखता से उठाएंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वह संबंधित अधिकारियों से बात कर इस समस्या का जल्द समाधान करवाएंगे ताकि आमजन को फिर से यह सेवा सुलभ हो सके।
अंतिम संस्कार की गरिमा बचाना जरूरी:
एलपीजी-सीएनजी फर्नेस की मरम्मत और जल्द पुन: संचालन की आवश्यकता अब केवल एक तकनीकी मांग नहीं, बल्कि सामाजिक आवश्यकता बन चुकी है। गरीब और लावारिस शवों को सम्मानजनक विदाई देना न केवल प्रशासनिक कर्तव्य है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी आवश्यक है। नगर निगम को त्वरित कार्रवाई करते हुए इस सेवा को पुन: शुरू करना चाहिए ताकि चंडीगढ़ एक बार फिर अपने संवेदनशील और सामाजिक रूप से जागरूक शहर की छवि को बरकरार रख सके।