मलोया फ्लैट पर कब्जे को लेकर चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की कार्यप्रणाली
पर भी उठे सवाल
भरत अग्रवाल,चंडीगढ़ दिनभर।
चंडीगढ़ : मलोया में स्थित स्मॉल फ्लैट नंबर 152/1 को लेकर इन दिनों एक
बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह फ्लैट आधिकारिक तौर पर उमा शंकर के नाम
अलॉट है, लेकिन पिछले लगभग दो वर्षों से इस फ्लैट में रह रहे हैं भारतीय
जनता पार्टी के नेता और पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष हरि शंकर मिश्रा, वह भी
पूरे परिवार सहित।
मामला इसलिए गंभीर हो जाता है क्योंकि चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाए
गए स्पष्ट नियमों के अनुसार, स्मॉल फ्लैट्स की अलॉटमेंट केवल आर्थिक रूप
से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के परिवारों को की जाती है और उसमें सिर्फ
वही व्यक्ति व उसका परिवार रह सकता है, जिसके नाम पर फ्लैट अलॉट किया गया
हो। यदि अलॉटी कहीं और रहता है और फ्लैट में कोई अन्य व्यक्ति या परिवार
रह रहा है, तो यह नियमों का स्पष्ट उल्लंघन माना जाता है और उस फ्लैट की
अलॉटमेंट रद्द की जा सकती है।
लेकिन यहां पर मामला बिल्कुल इसके उलट है। जिस उमा शंकर के नाम पर यह
फ्लैट अलॉट है, वह वर्तमान में बलटाना में निवास कर रहे हैं। जबकि फ्लैट
पर कब्जा है हरि शंकर मिश्रा और उनके परिवार का। मिश्रा न केवल बीजेपी के
वरिष्ठ नेता रह चुके हैं, बल्कि वह चंडीगढ़ कांट्रैक्टर्स एसोसिएशन के
वर्तमान प्रधान भी हैं और चंडीगढ़ प्रशासन से करोड़ों के टेंडर लेने वाले
प्रमुख कांट्रैक्टरों में गिने जाते हैं।
चुनावी रणनीति के तहत किया बनाए वोटर कार्ड :
इस मामले में जब आसपास के लोगों से बात की गई तो सामने आया कि हरि शंकर
मिश्रा ने यह फ्लैट केवल नगर निगम चुनाव लडऩे की नीयत से लिया है। बताया
जा रहा है कि मिश्रा और उनके परिवार ने मलोया फ्लैट के पते पर अपने वोटर
कार्ड तक बनवा लिए हैं ताकि वह इस वार्ड से चुनाव लड़ सकें। हालांकि,
किसी भी चुनाव में भाग लेने का अधिकार हर नागरिक को है, लेकिन गरीबों और
जरूरतमंदों के लिए बनाए गए स्मॉल फ्लैट पर अलॉटी के ईलावा किसी दूसरे का
रहना न केवल नैतिकता के खिलाफ है बल्कि कानूनन भी दंडनीय है।
सिस्टम की चुप्पी भी सवालों के घेरे में:
इस पूरे प्रकरण में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि स्मॉल फलैट पर
अधिकतर ऐसे लोगो के वोटर कार्ड बने हैं ,जाकि अलॉटी नहीं हैं लेकिन वहां
स्मॉल फलैट में रहते हैं। असल अॅलाटी या तो इन स्मॉल फलैट को बेच चुके
हैं या फिर किराए पर देकर कहीं ओर जाकर बस चुके हैं। चंडीगढ़ हाउसिंग
बोर्ड को वोटर लिस्ट और स्मॉल फलैट्स में बने आधार कार्ड की जांच कर पता
लगाना बेहद आसान हैं कि जिस मकान पर अलॉटी और उसके परिवार को रहना चाहिए
था ,वहां कौन रह रहे हैं। यह सबूत काफी हैं ,यह साबित करने के लिए की
स्मॉल में अलॉटी की जगह कोई दूसरे व्यक्ति रह रहे हैं। इसी आधार पर
चंडीगढ़ हॉउसिंग बोर्ड को कार्रवाई करने में भी आसानी रहेगी। लेकिन ऐसा
नहीं होता हैं। चंडीगढ़ हॉउसिंग बोर्ड सिर्फ नाम की वेरिफीकेशन करता है
वहीं अगर गंभीरता से जांच हो तो सच्चाई सामने आ सकती हैं। सवाल हैं कि
क्या प्रशासन जानबूझ कर आंख मूंदे बैठा है या राजनीतिक प्रभाव के चलते यह
मामला दबाया जा रहा है?
यह सिर्फ एक फ्लैट का मामला नहीं:
यह मामला केवल एक फ्लैट या एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। यह उस व्यवस्था
की तस्वीर पेश करता है जिसमें नियम सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह जाते हैं
और रसूख वालों के लिए कानून की परिभाषा तक बदल जाती है। स्मॉल फ्लैट्स का
मकसद है शहर के मजदूर, निम्न आय वर्ग और गरीब तबके को एक सुरक्षित और
स्थायी ठिकाना देना। लेकिन जब ऐसी योजनाओं पर राजनेता और धनाढ्य लोग
कब्जा करने लगें तो उन योजनाओं की आत्मा ही मर जाती है। हरि शंकर मिश्रा
जैसे व्यक्ति, जो कि प्रशासन से करोड़ों के ठेके लेते हैं, उनका इस तरह
के ईडब्ल्यूएस फ्लैट में रहना यह दर्शाता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं
बड़ी खामी है या फिर राजनीतिक संरक्षण इतना मजबूत है कि नियमों को ताक पर
रखकर भी कोई पूछने वाला नहीं।
प्रशासन से जवाब की मांग:
अब जब यह मामला सार्वजनिक हो चुका है, तो नागरिक समाज, विपक्षी दल और
सामाजिक संगठन मांग कर रहे हैं कि चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड इस पूरे मामले
की जांच करे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे। साथ ही यह
भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस तरह की गड़बडिय़ां न हों और जो
फ्लैट जिनके लिए बनाए गए हैं, वे उन्हीं तक सीमित रहें। इस मुद्दे ने एक
बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सरकारी योजनाएं वाकई में
उन तक पहुंचती हैं, जिनके लिए वे बनाई जाती हैं? और अगर नहीं, तो इसके
लिए जिम्मेदार कौन है सिस्टम, नेता या हम सब?
कोट्स. . .
हम मानते हैं कि मलोया स्थित स्मॉल फ्लैट नंबर 152/2 उमा शंकर को अलॉट
हुआ है, जो हमारे बिजनेस पार्टनर भी हैं। चूंकि अब वह बलटाना में रह रहे
हैं, इसलिए वर्तमान में उस फ्लैट में मैं और मेरा परिवार रह रहे हैं।
हालांकि, मैं इस फ्लैट के लिए कोई किराया नहीं देता और यह हमें बिना किसी
भुगतान के रहने के लिए दिया गया है।
हरि शंकर मिश्रा , पूर्व बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष चंडीगढ।