भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: सेक्टर 19डी स्थित एक सार्वजनिक पार्क में लगाए गए एक बोर्ड ने शहर में भारी विवाद खड़ा कर दिया है। इस बोर्ड पर साफ तौर पर लिखा गया है कि “यह पार्क सिर्फ सेक्टर 19 के रहने वालों के लिए है” और “यहां पिकनिक मनाना मना है”। यह फरमान न सिर्फ गैर-कानूनी है बल्कि सार्वजनिक स्थलों के उपयोग पर आम लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी है। इस बोर्ड पर लिखा गया यह आदेश चंडीगढ़ नगर निगम और सेक्टर 19डी की रेजिड़ेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लयूए) के नाम से जारी बताया गया है। इसी आधार पर अन्य सेक्टरों से आने वाले लोगों को पार्क में प्रवेश नहीं करने देते। यह स्थिति तब सामने आई जब कुछ परिवार सेक्टर 19डी के इस पार्क में बच्चों को घुमाने और पिकनिक मनाने पहुंचे, लेकिन उन्हें गेट से ही वापस भेज दिया गया।
गौरतलब है कि यह पार्क नगर निगम चंडीगढ़ की संपत्ति है, जो सभी शहरवासियों के लिए खुला है। नगर निगम समय-समय पर सेक्टरों की रेजिड़ेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को पार्क की देखरेख और मैनटेनेंस का अस्थाई जिम्मा देता है, ताकि क्षेत्र के लोग बेहतर सुविधा पा सकें। लेकिन इस जिम्मेदारी के तहत किसी भी आरडब्ल्यूए को यह अधिकार नहीं होता कि वह पार्क में प्रवेश करने वालों पर प्रतिबंध लगाए या मनमर्जी से नियम बनाए। नगर निगम की ओर से आरडब्ल्यूए को पार्क की सफाई, पौधारोपण और देखभाल के लिए हर महीने हजारों रुपये दिए जाते हैं। यह एक सीमित दायित्व होता है, न कि मालिकाना हक। लेकिन सेक्टर 19डी की आरडब्ल्यूए ने अपने दायरे से बाहर जाते हुए आदेश जारी कर दिया, जो न केवल नगर निगम की गाइडलाइनों के विरुद्ध है बल्कि नागरिक अधिकारों के भी खिलाफ है।
चंडीगढ़ दिनभर की टीम मौके पर पहुंची, तस्वीरें लीं, आरडब्ल्यूए ने झाड़ा पल्ला:
जैसे ही चंडीगढ़ दिनभर को इस विवादास्पद फरमान की जानकारी मिली, टीम ने मौके पर जाकर पार्क की स्थिति का जायजा लिया और एंट्री गेट पर लगे बोर्ड की तस्वीरें लीं। इसमें स्पष्ट लिखा हुआ था कि पार्क सिर्फ सेक्टर 19 के
निवासियों के लिए है और यहां पिकनिक मनाना मना है। इस संबंध में जब सेक्टर 19डी आरडब्ल्यूए के प्रधान से संपर्क किया गया तो उन्होंने पहले तो इस तरह के किसी आदेश को जारी करने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि
मार्च के बाद से आरडब्ल्यूए इस पार्क की देखरेख नहीं कर रही है, इसलिए उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि अगर उनकी जिम्मेदारी खत्म हो गई थी, तो यह बोर्ड अब तक क्यों लगा है और इसे हटाया
क्यों नहीं गया, तो वह कोई जवाब नहीं दे सके। इतना ही नहीं, बातचीत के दौरान उन्होंने पहले यह स्वीकार किया कि बोर्ड पर ऐसा कुछ लिखा ही नहीं है, लेकिन जब उन्हें तस्वीरें दिखाई गईं, तो उन्होंने यह कहते हुए बात खत्म कर दी कि नगर निगम में मेंटनेंस के पैसे नहीं मिल रहे, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते और फोन काट दिया।
नगर निगम ने दी सफाई, कहा किसी आरडब्ल्यूए को पार्क बंद करने का अधिकार नहीं:
चंडीगढ़ नगर निगम के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर किशन पाल ने इस पर स्पष्ट किया है कि पार्क भले ही किसी आरडब्ल्यूए की देखरेख में हो, लेकिन उसका उपयोग सभी नागरिकों के लिए खुला रहता है। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने कभी भी किसी आरडब्ल्यूए को यह अधिकार नहीं दिया कि वह किसी पार्क को एक सीमित समूह के लिए आरक्षित घोषित करे या अन्य सेक्टर के लोगों को प्रवेश से रोके। अगर किसी आरडब्ल्यूए ने इस तरह का आदेश जारी किया है, तो वह पूरी तरह अवैध है और उस पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम की टीम को बोर्ड हटाने के निर्देश दे दिए जाएगे।
नागरिकों में आक्रोश, सोशल मीडिया पर उठी कार्रवाई की मांग:
इस पूरे मामले को लेकर शहरवासियों में भारी गुस्सा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे तुगलकी फरमान बताते हुए आरडब्ल्यूए की आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर ऐसे फरमानों को बर्दाश्त किया गया तो आने वाले समय में चंडीगढ़ के सार्वजनिक स्थल भी निजी संपत्तियों की तरह सीमित कर दिए जाएंगे।