मंजीत सहदेव, चंडीगढ़ दिनभर: पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के पूर्व सीनेट सदस्य और चंडीगढ़ के पूर्व मेयर देवेश मौदगिल ने पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेनू विग को एक ज्ञापन भेजा जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा नए प्रवेश सत्र में दाखिले के दौरान छात्रों से लिए जा रहे एक असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक हलफनामे को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की गई है।
उन्होंने ज्ञापन में कहा है कि यह हलफनामा न केवल छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार को बाधित करता है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) और 19(1)(ख) का भी स्पष्ट उल्लंघन करता है। यह कदम विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक परंपराओं और विचारों को गहरा आघात पहुंचाता है।
देवेश मौदगिल ने कहा कि विश्वविद्यालयों का काम छात्रों को भयभीत करना नहीं बल्कि उन्हें जागरूक, निर्भीक, जिम्मेदार और लोकतांत्रिक नागरिक बनाना होना चाहिए। छात्रों को चुप कराने वाले ऐसे आदेश दबाव और डर की संस्कृति को जन्म देते हैं। जोकि पूर्ण रूप से गलत है। उन्होंने अपने ज्ञापन में यह भी चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो उनके द्वारा यह मुद्दा भारत के उपराष्ट्रपति, जोकि पंजाब विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं के समक्ष उठाया जाएगा और आवश्यक कानूनी एवं जन स्तर की कार्यवाही भी की जाएगी।