Thursday, August 14, 2025

शास्त्री मार्केट में दुकानों की छत की ऊंचाई को 10 फीट 6 इंच करने की मांग

चंडीगढ़: चंडीगढ़ की सबसे पुरानी  बाजारों में शामिल शास्त्री मार्केट सेक्टर 22 के दुकानदारों और व्यापारियों ने एकजुट होकर चंडीगढ़ प्रशासन को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने मार्केट की दशकों पुरानी समस्याओं को उजागर करते हुए इसके संपूर्ण पुनर्निर्माण की मांग की है। शास्त्री मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा भेजे गए इस ज्ञापन में न सिर्फ बाजार के भौतिक हालात का उल्लेख किया गया है, बल्कि ठोस सुझाव भी दिए गए हैं, जिनके माध्यम से इस ऐतिहासिक बाजार को चंडीगढ़ की आधुनिक बाजारों की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है।

70 साल पुरानी मार्केट, लेकिन सुविधाओं से कोसों दूर:

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शास्त्री मार्केट की स्थापना चंडीगढ़ शहर के शुरुआती विकास के समय हुई थी। उस दौर में यह बाजार शहरवासियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। समय के साथ यह बाजार न केवल स्थानीय लोगों की पसंद बनी, बल्कि देशभर से आने वाले पर्यटकों और ग्राहकों का भी पसंदीदा खरीदारी स्थल बन गई। लेकिन दुर्भाग्यवश, 70 वर्षों के बाद भी इस बाजार में बुनियादी ढांचे और सुरक्षा से संबंधित सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।

ज्ञापन में उठाई गई प्रमुख समस्याएं और सुझाव:

 सुरक्षा के लिए शटर लगाने की मांग: मार्केट के दुकानों में अभी तक फ्रंट ओपनिंग स्टील शटर की सुविधा नहीं
है, जिससे दुकानदारों को अपना सामान सुरक्षित रखने में परेशानी होती है। एसोसिएशन ने बताया कि पलिका बाजार, सेक्टर 19-सी में ऐसी सुविधा पहले से उपलब्ध है और वहाँ शटर लगाने की प्रशासन से अनुमति भी ली गई थी। इसी तर्ज
पर शास्त्री मार्केट में भी स्टील शटर लगाने की मांग की गई है दुकानदार चाहते हैं कि शटर को बाहर की ओर लगाया जाए ताकि अंदर का 9 इंच का स्थान व्यर्थ न हो और उत्पादों के प्रदर्शन के लिए प्रयोग हो सके।

छत की ऊँचाई और निर्माण स्तर बढ़ाने की अपील: पुनर्निर्माण की स्थिति में दुकानों की छत की ऊंचाई को 10 फीट 6 इंच करने की मांग की गई है। इससे दुकानों में हवा, रोशनी और भंडारण की बेहतर व्यवस्था हो सकेगी। साथ ही, प्लिंथ लेवल (दुकानों की नींव) को ऊंचा करने की भी अपील की गई है, ताकि बारिश के दौरान जलभराव से बचाव हो।

भारी बारिश में जलभराव बना बड़ी समस्या: ज्ञापन में बताया गया कि बाजार का मुख्य प्रवेश द्वार एक ढलान वाली सड़क से लगता है, जिसके कारण हर बार बरसात में पानी सीधा मार्केट में घुस जाता है। इससे न केवल दुकानों का सामान खराब होता है, बल्कि ग्राहक भी बाजार में आने से कतराते हैं। एसोसिएशन ने सुझाव दिया कि मार्केट के प्रवेश द्वार पर ऊँचाई बढ़ाकर सीढ़ियाँ बनाई जाएँ और रास्ते की बरम (berm) की ऊंचाई भी बढ़ाई जाए।

कोने की दुकानों के लिए साइड शटर: पलिका बाजार की तर्ज पर कोने की दुकानों में साइड से भी खुलने की
व्यवस्था और साइड शटर लगाने की अनुमति मांगी गई है। इससे दुकानदार अपने उत्पाद बेहतर ढंग से प्रदर्शित कर सकेंगे और ग्राहकों की सुविधा भी बढ़ेगी।

सौर ऊर्जा और वर्षा जल संचयन प्रणाली: चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन दिए जाने को देखते हुए
एसोसिएशन ने मांग की है कि पुनर्निर्मित दुकानों की छत को समतल (flat) बनाया जाए, ताकि वहाँ सोलर पैनल लगाना संभव हो सके। साथ ही, वर्षा जल संचयन (रेन  वाटर  हार्वेस्टिंग ) के लिए कम से कम दो गड्ढों  की व्यवस्था की मांग की गई है, ताकि बरसाती पानी का उपयोग हो और भूजल स्तर सुधारा जा सके।

फायर सेफ्टी के लिए अतिरिक्त निकास द्वार: अग्नि सुरक्षा को देखते हुए मार्केट के एक ओर– डिस्पेंसरी साइड– पर एक अतिरिक्त निकास द्वार (इमरजेंसी एग्जिट) की मांग की गई है ताकि किसी आपात स्थिति में बचाव आसानी से हो सके।

बाजार में खाली पड़े 4 बूथों का निर्माण भी साथ किया जाए: मार्केट में चार दुकानें लंबे समय से खाली पड़ी हैं। एसोसिएशन ने इनका भी साथ में निर्माण करने की अनुमति मांगी है और वादा किया है कि इनके निर्माण का खर्च वे स्वयं वहन करेंगे, ताकि पूरे बाजार की सुंदरता और एकरूपता बनी रहे।

सार्वजनिक सुविधाएँ– शौचालय और पीने का पानी: बाजार में ग्राहकों की संख्या काफी अधिक होती है, लेकिन वहाँ पब्लिक टॉयलेट और ड्रिंकिंग वाटर की कोई व्यवस्था नहीं है। एसोसिएशन ने आग्रह किया है कि इन सुविधाओं को भी मार्केट के नए डिजाइन में शामिल किया जाए।

प्रस्तावित नक्शे भी सौंपे गए: एसोसिएशन ने अपने ज्ञापन के साथ दो नक्शे भी संलग्न किए हैं एक मौजूदा मार्केट की स्थिति को दर्शाता है, और दूसरा नया प्रस्तावित लेआउट, जिसमें ऊपर बताई गई सभी सुविधाओं को शामिल किया गया है।

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