भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: लुधियाना विजिलेंस विभाग द्वारा दर्ज मोतिया रॉयल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर्स के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के गंभीर मामले में कानूनी कार्यवाही निर्णायक मोड़ पर है। इसी कड़ी में शुक्रवार को लुधियाना कोर्ट में कंपनी के डायरेक्टर्स प्रवीण कांसल, नीरज कांसल और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख 27 जून तय की है।
सुनवाई में बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि इसी तरह की एक शिकायत पहले भी आई थी जिसे जांच के बाद फाइल कर दिया गया था। उन्होंने इसे दोहरे आरोपों वाली कार्रवाई बताया और न्यायालय से राहत की मांग की। मामला उस समय शुरू हुआ जब एक साझेदार ने विजिलेंस विभाग को शिकायत दी कि कंपनी के निदेशकों ने उसे धोखे में रखकर जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली। तहसीलदार तरसेम पर भी आरोप है कि उन्होंने बिना सत्यापन के फर्जी दस्तावेजों पर रजिस्ट्री पास की।
शुरुआती एफआईआर में धारा 420 और 120-बी जोड़ी गई थीं, लेकिन बाद में जांच में 465, 466, 467, 468 और 471 जैसी जालसाजी की गंभीर गैर-जमानती धाराएं भी जोड़ी गईं। आरोपियों ने पहले निवेश के नाम पर साझेदार बनाया और फिर गुपचुप तरीके से जमीन अपने नाम रजिस्टर्ड करवा ली। मुल्लांपुर थाने में शिकायत के बाद विजिलेंस जांच में दस्तावेजों की धोखाधड़ी और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई। तहसीलदार की जमानत पहले ही खारिज की जा चुकी है, जिससे साफ है कि अदालत इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से देख रही है।