भरत अग्रवाल, चंडीगढ़ दिनभर: दूसरे की जमीन की गलत ततीमा रजिस्टरी करवाने का जो केस लुधियाना विजिलेंस विभाग ने मोतिया रॉयल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के मालिकों प्रवीण कांसल, नीरज कांसल व इंदु कांसल और तहसीलदार तरसेम मित्तल के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं के तहत जो केस दर्ज किया था। उसमें लुधियाना के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज की कोर्ट ने तहसीलदार तरसेम मित्तल की जमानत याचिका खारिज कर दी है, यानि इस केस में उसे जमानत नहीं दी गई है। आरोपी तरसेम ने 13 जून को जमानत याचिका दायर की थी,जिस पर पुलिस के जवाब दायर करने के बाद आज सुनवाई हुई। पुलिस ने दलील दी कि आरोपी की यह बड़ी धोखाधड़ी है और इसमें आरोपी की कस्टोडियल इंटेरोगेशन यानि हिरासत में लेकर पूछताछ करनी जरूरी है। इस पर आरोपी की जमानत याचिका खारिज हुई।
दूसरी तरफ विजिलेंस आरोपी की अब जल्द गिरफ्तारी भी कर सकती है। वहीं इस केस में बाकि आरोपी मोतिया रॉयल एस्टेट के डॉयरेक्टर प्रवीण कांसल,नीरज कांसल और अन्य ने भी जमानत याचिका लुधियाना कोर्ट में दायर की। सूत्रों की माने तो इसमें पुलिस को नोटिस हुआ और कोर्ट आदेशों के मुताबिक आरोपियों की तरफ से प्रोक्सी कांउसिल ने पेश होकर जिरह की जगह खुद अगली डेट मांगी। जिस पर इस केस की सुनवाई 21 जून को अब निधारित की गई है। उस दिन इस केस में जहां लुधियाना विजिलेंस कोर्ट में अपना जवाब दायर करेगी, वहीं उसके बाद केस में जमानत पर फैसला हो सकेगा। दूसरी तरफ विजिलेंस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ जांच तेज कर दी है और इस मामले में कई लोगों के बयान दर्ज किए जा रहे हेैं। सूत्रों की माने तो इन लोगों के बयानों के आधार पर विजिलेंस जल्द इस मामले में कई अन्य धाराओं को भी केस में जोड़ सकती है।
बता दें कि इससे पहले आरोपियों के खिलाफ विजिलेंस ने एक गंभीर धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। यह केस उस समय दर्ज हुआ जब एक अन्य साझेदार (पार्टनर) ने शिकायत दी कि इन तीनों ने जानबूझकर उसे धोखे में रखकर ततिमा रजिस्ट्रेशन (ज़मीन की रजिस्ट्री) अपने नाम करवा ली, और उसे जानकारी तक नहीं दी।
क्या है मामला?
शिकायत के मुताबिक, प्रवीण कांसल, नीरज कांसल और इंदु कांसल ने मिलकर कंपनी के एक और पार्टनर से बड़ी धनराशि का निवेश करवाया, लेकिन बाद में उस निवेश से जुड़ी जमीन को अपने नाम पर ततिमा रजिस्टर्ड करवा लिया। इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी उस अन्य पार्टनर को नहीं दी गई।जब इस धोखाधड़ी का पता चला, तो उसने तुरंत मुल्लांपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि तहसीलदार तरसेम की मिलीभगत से यह साजिश रची गई और उन्होंने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग कर इस रजिस्ट्री को
मंजूरी दी।
प्रशासनिक मिलीभगत के आरोप
शिकायत में यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूरी रजिस्ट्री प्रक्रिया में तहसीलदार तरसेम की मिलीभगत रही। आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों को वैध माना और नियमों को नजरअंदाज करते हुए प्रवीण कांसल और अन्य के पक्ष में ततिमा रजिस्टर्ड कर दी।