हिमांशु शर्मा, चंडीगढ़ दिनभर: बठिंडा के कारोबारी संजय गोयल से 1.01 करोड़ रुपए की लूट मामले में चौंकाने वाला मोड़ आया है। चंडीगढ़ की जिला अदालत ने सेक्टर-39 थाना के पूर्व एडिशनल एसएचओ नवीन फोगाट समेत 4 पुलिसकर्मियों पर संगीन धाराओं के तहत आरोप तय कर दिए हैं। जिन अन्य आरोपियों पर आरोप तय हुए हैं, उनमें कांस्टेबल वरिंदर, शिव कुमार और वरिंदर सिंह गिल शामिल हैं।इन सभी पर आईपीसी की धारा 365 (अपहरण), 386 (जबरन वसूली), 420 (धोखाधड़ी), 506 (धमकी), 120-बी (आपराधिक साजिश), 389 और 364ए (फिरौती के लिए अपहरण) जैसे गंभीर अपराधों के तहत मुकदमा चलेगा।
क्या है मामला?
यह मामला 4 अगस्त 2023 का है। बठिंडा निवासी कारोबारी संजय गोयल सेक्टर-40 मार्केट में 1.01 करोड़ रुपए बदलने के लिए आया था। तभी तीन लोग – जिनमें से एक पुलिस की वर्दी में था-गोयल और उसके ड्राइवर को जबरन एक पुलिस चौकी ले गए। गोयल के अनुसार, आरोपियों ने उसे झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर मोटी रकम हड़प ली। उसने यह भी बताया कि एक मर्सिडीज कार में कोई बड़ा अधिकारी मौके पर आया था, लेकिन गाड़ी से नहीं उतरा और वहां से चला गया। घटना के बाद संजय गोयल ने परिवार को जानकारी दी और फिर मामला एसएसपी कंवरदीप कौर के संज्ञान में लाया गया। एसएसपी कंवरदीप कौर के आदेश पर तत्कालीन डीसपी चरणजीत ने संजय गोयल को थाने बुलाकर आरोपी पुलिसकर्मियों की पहचान कराई। संजय ने नवीन फोगाट की पहचान की और बताया कि फोगाट ने मामला रफादफा करने के लिए दबाव भी बनाया, लेकिन जब संजय नहीं झुका तो फोगाट मौके से फरार हो गया।
फोगाट की संदिग्ध पृष्ठभूमि
यह पहली बार नहीं है जब एसआई नवीन फोगाट पर गंभीर आरोप लगे हों। पहले भी वह चंडीगढ़ पुलिस की साइबर सेल में तैनाती के दौरान एक मॉडल से दुष्कर्म के आरोप में फंसा था। उस मामले में वह बर्खास्त हुआ, लेकिन कोर्ट से बरी होने के बाद हाल ही में उसे दोबारा बहाल कर सेक्टर-39 थाने में एडिशनल एसएचओ बनाया गया था।
जांच के घेरे में और भी पुलिस अधिकारी
रातों रात केस दर्ज हुआ और फोगाट समेत तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों, एक इमिग्रेशन एजेंसी से जुड़े सर्वेश कौशल, गिल और जितेंद्र को आरोपी बनाया गया। मामले में कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका भी शक के घेरे में है और जांच जारी है।
इस मामले ने एक बार फिर पुलिस महकमे में बैठे भ्रष्ट अफसरों की हकीकत उजागर कर दी है। सवाल यह उठता है कि वर्दी की आड़ में अपराध करने वालों पर कितनी सख्ती से कार्रवाई होगी, और क्या सिस्टम ऐसे लोगों को दोबारा बहाल कर उन्हें फिर मौका देगा?