जीशान अंसारी, चंडीगढ़ दिनभर: पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों को अब हॉस्टल में रहने के साथ-साथ खाने-पीने पर भी भारी जेब ढीली करनी पड़ रही है। वजह मेस और कैंटीन के बिलों में जोड़ा जा रहा जीएसटी। इस मुद्दे को लेकर छात्र संगठन पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है और यूनिवर्सिटी प्रशासन से हॉस्टल मेस और कैंटीन सेवाओं पर पूरी तरह से जीएसटी माफ करने की मांग की है।
पीएसयू ने रखी दो मुख्य मांगें
1. यूनिवर्सिटी की सभी हॉस्टलों की मेस और कैंटीन सेवाओं पर पूरी तरह से जीएसटी माफ किया जाए।
2. सभी हॉस्टलों में बिलों का उचित रिकॉर्ड रखा जाए और रेट लिस्ट को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाए।
पीएसयू का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को मेस और कैंटीन के बिलों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। जब संगठन ने इस पर जांच की तो पाया गया कि पैक्ड आइटम्स पर गलत तरीके से जीएसटी लगाया जा रहा था, जो नियमों के खिलाफ है। इसको लेकर छात्र नेताओं ने गर्ल्स हॉस्टल नंबर 1 और 3 की वार्डन से मुलाकात की, जिसके बाद बिलिंग फॉर्मेट में बदलाव किया गया और पैक्ड आइटम्स से जीएसटी हटा दिया गया।
हालांकि संगठन का कहना है कि यह केवल आंशिक समाधान है। असली समस्या अब भी बनी हुई है, अनपैक्ड खाने-पीने की चीज़ों पर लगाए जा रहे टैक्स का बोझ। पीएसयू ने साफ किया कि पंजाब यूनिवर्सिटी एक सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थान है औरसीजीएसटी एक्ट 2017 के तहत नोटिफिकेशन नंबर 12/2017-सेंट्रल टैक्स दिनांक 28 जून 2017 के अनुसार ऐसे संस्थानों को मेस और कैंटीन जैसी सेवाओं पर जीएसटी से छूट दी गई है।