लुधियाना में 2,400 करोड़ रुपए के कथित भूमि घोटाले से जुड़े मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायधीश गुरप्रीत कौर की अदालत ने सुनाया। पूर्व मंत्री आशु इस समय लुधियाना पश्चिमी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। ऐसे समय में कोर्ट का यह फैसला उनके लिए बड़ा राजनीतिक और कानूनी झटका माना जा रहा है।
डीएसपी विनोद कुमार, जिन्होंने आशु को समन भेजा था, ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि अभी तक इस केस में आशु को आधिकारिक रूप से नामजद नहीं किया गया है। इस आधार पर कोर्ट ने कहा कि जब आरोपी नामजद ही नहीं है तो अग्रिम जमानत की जरूरत नहीं बनती और याचिका खारिज कर दी गई। इससे पहले 6 जून को अवकाशकालीन कोर्ट ने आशु को 11 जून तक अंतरिम राहत दी थी, लेकिन अब स्थायी अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया गया।
सुनवाई के दौरान आशु के वकीलों की टीम ने अदालत से निवेदन किया कि यदि उनकी गिरफ्तारी की संभावना हो तो विजिलेंस ब्यूरो को कम से कम तीन दिन पहले का नोटिस देने का आदेश दिया जाए। लेकिन सरकारी वकीलों और विजिलेंस विभाग ने इस मांग का विरोध किया।
यह मामला जनवरी 2025 में दर्ज हुआ था। लुधियाना इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (LIT) द्वारा सराभा नगर में शिक्षा के उद्देश्य से दी गई 4.7 एकड़ भूमि के कथित दुरुपयोग से संबंधित है। आरोप है कि इस भूमि पर कई प्लेवे स्कूल और अन्य व्यवसाय चल रहे हैं, जिससे प्रबंधन भारी किराया वसूल रहा है। यह जमीन सरकार ने केवल शैक्षणिक उपयोग के लिए रियायती दरों पर दी थी। इस घोटाले में अनुमानित वित्तीय अनियमितता 2,400 करोड़ रुपए की मानी जा रही है।
इस मामले में पुलिस ने 8 जनवरी 2025 को आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120-बी (आपराधिक साजिश), 467, 468, 471 (जालसाजी), और 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया था। इसके बाद यह जांच सतर्कता ब्यूरो को सौंप दी गई। फिलहाल कांग्रेस की ओर से आशु का समर्थन जारी है और चुनाव कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसे राजनीतिक साजिश बताया गया है। लेकिन अदालत का यह निर्णय उनकी मुश्किलें बढ़ा सकता है और चुनाव प्रचार पर भी असर डाल सकता है।