फरीदाबाद के प्रतिष्ठित बादशाह खान सिविल अस्पताल (BK हॉस्पिटल) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक फर्जी डॉक्टर ने खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर पिछले 7 महीनों में 70 से अधिक हार्ट सर्जरी कर डालीं, जिनमें 3 मरीजों की जान चली गई। यह फर्जी डॉक्टर पंकज मोहन शर्मा असली डॉक्टर के नाम और दस्तावेजों का दुरुपयोग कर अस्पताल में नौकरी कर रहा था।
यह खुलासा एक जागरूक नागरिक संजय गुप्ता की सक्रियता से हुआ, जिन्होंने सर्जरी के बाद तीन मरीजों की असामान्य मौतों पर शक जताते हुए तहकीकात शुरू की। जब दस्तावेजों की जांच की गई, तो सामने आया कि आरोपी डॉक्टर ने असली कार्डियोलॉजिस्ट पंकज मोहन के दस्तावेजों को फर्जी तरीके से इस्तेमाल कर अपना नियुक्ति पत्र बनवाया।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
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आरोपी डॉक्टर केवल MBBS पास था, जबकि कार्डियोलॉजिस्ट पद के लिए DM/MD की आवश्यकता होती है।
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अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टर के प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं कराया, जबकि PPP मॉडल (सरकारी-निजी साझेदारी) में यह अनिवार्य था।
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यह भी सामने आया है कि डॉक्टर ने आरक्षित वर्गों और गरीब मरीजों के नाम पर आयुष्मान भारत और BPL योजनाओं के तहत फर्जी बिल बनाकर लाखों का घोटाला भी किया।
शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं
संजय गुप्ता ने पहले सिविल सर्जन और पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अंततः उन्होंने DCP एनआईटी मकसूद अहमद से मिलकर मामले की गंभीरता को सामने रखा। डीसीपी ने जांच का आश्वासन दिया और अब पूरे मामले की गहनता से जांच हो रही है।
अस्पताल की सफाई
BK अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. सत्येंद्र वशिष्ठ ने स्वीकार किया कि पुलिस की मांग पर अस्पताल ने सभी संबंधित दस्तावेज जांच एजेंसियों को सौंप दिए हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल इस मामले में पूरी तरह सहयोग कर रहा है।
अब तक की कार्रवाई
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आरोपी डॉक्टर को फरवरी 2024 में चुपचाप हटा दिया गया था।
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अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है।
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यदि DGCA की तरह स्वास्थ्य नियामक एजेंसियां भी सतर्क होतीं, तो यह घटना रोकी जा सकती थी।
फरीदाबाद के बीके अस्पताल में हुए इस घोटाले ने सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा और प्रमाणन व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे मामलों से यह साफ है कि केवल मशीनें और भवन बनाना काफी नहीं, सही और प्रमाणित स्टाफ की नियुक्ति भी उतनी ही जरूरी है।