- – इंक्वायरी हुई तो आप भी फंसोगे’ दबाव में पार्षद: सूत्र
- – मैं न झुकूंगा, न रुकूंगा। चाहे अकेले ही लडऩा पड़े, घोटाले को उजागर
करके रहूंगा : योगेश ढिंगरा
भरत अग्रवाल . चंडीगढ़ दिनभर।
चंडीगढ ़: नगर निगम के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा कम्युनिटी सेंटर
फ्री बुकिंग घोटाला धीरे-धीरे दबाया जा रहा है। यह वह घोटाला है, जिसकी
परतें खुलीं तो निगम के तमाम पार्षदों से लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों तक
की भूमिका पर सवाल खड़े हो सकते हैं। लेकिन शहर के तथाकथित ईमानदार 34
पार्षदों की चुप्पी ने इस घोटाले को दबाने का काम किया है।
हैरानी की बात यह है कि जब नगर निगम ने पार्किंग चार्ज मात्र 5 रुपये
बढ़ाया था, तब इन पार्षदों ने पूरा शहर सिर पर उठा लिया था, मीडिया में
बयानबाजी हुई, धरने हुए, नारे लगे। लेकिन जब बात खुद उनके दामन तक
पहुंचने की आई तो सभी चुप्पी साध गए। इस मौन ने खुद पार्षदों की नीयत पर
सवाल खड़े कर दिए हैं।
नगर निगम के अधिकारियों ने पूरे मामले की जांच विजिलेंस विभाग को सौंप दी
है, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि अब कार्रवाई बाहर के
हाथ में है। लेकिन जानकारों का कहना है कि यह जांच केवल वक्त काटने और
फाइलें दबाने की रणनीति का हिस्सा है। विभागीय कार्रवाई की बात करें तो
अब तक कोई ठोस कदम न अधिकारियों ने उठाया, न ही निगम ने पारदर्शिता
दिखाई।
सूत्रों के अनुसार, निगम अधिकारियों और पार्षदों के बीच इस मुद्दे को
लेकर आपसी समझदारी बन चुकी है। चूंकि फ्री बुकिंग की अधिकतर सिफारिशें
खुद पार्षदों ने की थीं, इसलिए अधिकारियों ने इसी कमजोरी का फायदा उठाकर
उन्हें चुप करा दिया।
‘इंक्वायरी हुई तो आप भी फंसोगे’ दबाव में पार्षद:
घोटाले के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले पार्षदो को एक वरिष्ठ अधिकारी ने दो
टूक शब्दों में कहा कि “अगर जांच हुई तो आप भी फंसोगे, इसलिए ज्यादा आवाज
मत उठाओ।” इसके बाद से कई पार्षदों ने इस मसले पर सार्वजनिक रूप से बोलना
बंद कर दिया है। उन्हें डर है कि उनके द्वारा की गई फ्री बुकिंग की
सिफारिशें ही जांच का हिस्सा बन जाएंगी और वे खुद कटघरे में खड़े हो सकते
हैं। यह भय ही वह सबसे बड़ा हथियार बन गया है, जिससे नगर निगम के अधिकारी
इस घोटाले को दबा रहे हैं। पार्षद अब चाहते हैं कि यह मामला धीरे-धीरे
फाइलों में धुंधला हो जाए, ताकि न सवाल उठें और न ही कोई जवाब देना पड़े।