- सस्ती शराब की तस्करी के लिए चंडीगढ़ के ठेकेदारों ने बनाए ‘गुप्त रास्ते
- बिना होलोग्राम वाली शराब पर ढिंढोरा, असली तस्करी पर चुप क्यों?
- डिस्काउंट के नाम पर नियमों की धज्जियां, कार्रवाई गायब!
- पंजाब बॉर्डर पर सस्ती शराब का रास्ता दिखाते ठेके!
- शराब तस्करी के लिए बने नए ‘रूट प्लान’, अब बोर्ड से मिलती गाइडेंस
भरत अग्रवाल , चंडीगढ़ दिनभर।
चंडीगढ़ : पंजाब में चंडीगढ़ से सस्ती शराब पहुंचाने का अब बाकायदा “रूट
प्लान” तैयार कर लिया गया है। हैरानी की बात यह है कि यह रूट प्लान
चोरी-छिपे नहीं, बल्कि चंडीगढ़ के कुछ शराब ठेकों पर बड़े-बड़े लाइट वाले
साइन बोर्ड के जरिए सरेआम लगाया गया है, ताकि पंजाब के ग्राहक को यह
बताया जा सके कि किस चोर रास्ते से वह आसानी से बिना पकड़े सस्ती शराब
पंजाब ले जा सकते हैं।
इस तरह के साइन बोर्ड मुख्यत: उन ठेकों पर देखे गए हैं जो पंजाब की सीमा
से सटे क्षेत्रों में हैं, जहां से पंजाब के लोग शराब खरीदने पहुंचते
हैं। चंडीगढ़ में शराब की कीमतें पंजाब की तुलना में कम हैं, इसलिए पंजाब
के लोग सस्ती शराब के लिए चंडीगढ़ की तरफ रुख करते हैं। लेकिन पंजाब का
एक्साइज विभाग लगातार बॉर्डर पर चेकिंग करता है, जिससे शराब की तस्करी पर
नकेल कसी जा सके।
अब चंडीगढ़ के शराब कारोबारियों ने इस समस्या का नया समाधान निकालते हुए
“गुप्त रास्तों” का रोडमैप बना डाला है। यह रोडमैप उन रास्तों का जिक्र
करता है, जहां पंजाब एक्साइज की मौजूदगी कम होती है या फिर कारोबारी की
मिलीभगत से चेकिंग में ढील बरती जाती है।
इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि इस अवैध रूट मैप को प्रचारित करने के
लिए साइन बोर्ड का इस्तेमाल किया गया है, जोकि सीधे तौर पर चंडीगढ़ की
एक्साइज पॉलिसी का उल्लंघन है। इसके बावजूद चंडीगढ़ का एक्साइज विभाग
पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या इसमें
विभाग की भी कोई मिलीभगत है?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि अवैध
शराब तस्करी को बढ़ावा देने की एक संगठित कोशिश भी है। जरूरत है कि
चंडीगढ़ प्रशासन और एक्साइज विभाग तुरंत सख्त कार्रवाई करें और ऐसे साइन
बोर्ड हटाकर संबंधित ठेकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
करोड़ों रुपए की लाइसेंस फीस, शायद इसी कारण नहीं होती कार्रवाई:
चंडीगढ़ की एक्साइज पॉलिसी के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही
हैं, लेकिन एक्साइज विभाग सिर्फ बिना होलोग्राम और बारकोड वाली शराब की
बोतलों को जब्त कर कार्रवाई करने का दिखावा करता रहता है। सबसे बड़ा
सवाल यह है कि बिना होलोग्राम और बारकोड की ये शराब की बोतलें आती कहां
से हैं और इस तस्करी में कौन लोग शामिल हैं? इस पूरे नेटवर्क का पता
लगाने के लिए आज तक चंडीगढ़ पुलिस को कोई आधिकारिक शिकायत नहीं दी गई, जो
सीधे तौर पर मिलीभगत की ओर ईशारा करता है। वहीं, एक्साइज विभाग की शह और
लापरवाही के चलते ही आज भी चंडीगढ़ के शराब ठेकों पर मिनिमम रेट सेल
प्राइस से नीचे दाम पर शराब की बोतलें बिक रही हैं। इन अवैध बिक्री को
बढ़ावा देने वाले बड़े-बड़े डिस्काउंट बैनर ठेकों पर खुलेआम लगे हुए हैं,
जिससे साफ जाहिर होता है कि ठेकेदारों को विभागीय कार्रवाई का कोई डर
नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या करोड़ों रुपए की लाइसेंस फीस के
एवज में विभाग ने आंखें मूंद ली हैं?