यूपी के मथुरा में पंजाब के दिव्यांग क्रिकेटर विक्रम सिंह (38) की ट्रेन में इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई। वह ग्वालियर में 5 जून से होने वाले नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लेने जा रहे थे। विक्रम सिंह छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में सफर कर रहे थे, जब उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, लेकिन ट्रेन मथुरा से पहले लगभग डेढ़ घंटे तक सिग्नल न मिलने के कारण खड़ी रही और मदद भी समय पर नहीं मिली।
विक्रम सिंह पंजाब के अहमदगढ़ मंडी के पिहड़ी गांव के रहने वाले थे। वे बुधवार सुबह साढ़े चार बजे दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से ट्रेन में सवार हुए थे। ट्रेन ग्वालियर जा रही थी जहां नेशनल टूर्नामेंट होना था। लेकिन ट्रेन के चलने के बाद कुछ ही देर में उनकी तबीयत खराब होने लगी। शरीर से पसीना आना शुरू हो गया और वे घबराने लगे।
साथियों ने तुरंत रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 पर फोन कर मदद मांगी। रेलवे की ओर से जवाब मिला कि मथुरा जंक्शन पर डॉक्टर से संपर्क किया जाएगा और इलाज किया जाएगा। लेकिन ट्रेन मथुरा पहुंचने से पहले अझाई स्टेशन पर सिग्नल न मिलने की वजह से करीब डेढ़ घंटे तक खड़ी रही। इस बीच विक्रम की हालत और ज्यादा गंभीर हो गई। जब ट्रेन सुबह 8:10 बजे मथुरा जंक्शन पर पहुंची तो डॉक्टरों ने विक्रम की जांच की, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। साथियों ने बताया कि यदि समय पर इलाज मिलता तो विक्रम की जान बच सकती थी।
मृतक विक्रम के परिवार को घटना की सूचना दी जा चुकी है। उनके जीजा कुलविंदर मथुरा की तरफ रवाना हो चुके हैं। मथुरा रेलवे स्टेशन पर उनकी टीम के साथी और परिवार के लोग इंतजार कर रहे हैं ताकि शव को पोस्टमॉर्टम के बाद उनके गांव पहुंचाया जा सके। जीआरपी थाना प्रभारी निरीक्षक ने कहा कि साथी खिलाड़ियों ने रेलवे को समय रहते जानकारी दी थी, लेकिन रास्ते में ही विक्रम की मौत हो गई। शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जाएगा।
दिव्यांग क्रिकेटर विक्रम की मौत पर उनके साथी और क्रिकेट जगत में गहरा सदमा है। खिलाड़ियों का आरोप है कि बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट एसोसिएशन ने इस मामले में कोई मदद या जवाब नहीं दिया। उनका कहना है कि यदि ऐसा किसी मुख्यधारा के क्रिकेटर के साथ होता, तो तुरंत मदद पहुंचती और मामला तूल पकड़ता।
पंजाब टीम के कप्तान सोमजीत ने कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों के प्रति तवज्जो न मिलना दुखद है। उन्होंने बीसीसीआई और संबंधित अधिकारियों से इस मामले में कड़ा कदम उठाने की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की अनदेखी न हो। यह घटना दिव्यांग खिलाड़ियों की सुरक्षा और समय पर मदद की आवश्यकता को उजागर करती है और रेलवे की जवाबदेही पर सवाल उठाती है। सरकार और क्रिकेट प्रशासन से उम्मीद है कि वे इस मामले की गंभीरता को समझेंगे और सही कार्रवाई करेंगे।