भरत अग्रवाल.चंडीगढ़ दिनभर
नगर निगम की हाउस मीटिंग में मंगलवार को कम्युनिटी सेंटर से
जुड़ा फ्री बुकिंग घोटाले का मुद्दा पूरी तरह शांत रहा। आम आदमी पार्टी
(आप)पार्षद योगेश ढिंगरा ने बार-बार प्रयास किया कि इस घोटाले पर निगम
अधिकारियों का पक्ष जाना जाए और आगे की रणनीति तय हो सके, लेकिन हर बार
उनकी मांग को अनदेखा कर दिया गया।
दोपहर करीब 4 बजे तक ढिंगरा हाउस में बैठे इंतजार करते रहे कि शायद
उन्हें भी बोलने का अवसर मिलेगा, लेकिन बार-बार आग्रह के बावजूद उन्हें
मंच नहीं दिया गया। इस व्यवहार से क्षुब्ध होकर अंतत: वे हाउस से उठकर
चले गए।
गौरतलब है कि कम्युनिटी सेंटर के करोड़ो रूपए के घोटाले को लेकर पहले भी
ढिंगरा ने ईमानदारी से यह मुद्दा उठाया था, लेकिन निगम के अधिकारी और
मेयर इस मामले में बात करना तक जरूरी नहीं समझते। स्थिति यह है कि एक ओर
हाउस में एक मामूली शिकायत पर नगर निगम आयुक्त ने एक जेई को निलंबित कर
दिया, वहीं दूसरी ओर इतने बड़े घोटाले के बावजूद आज तक किसी भी जिम्मेदार
अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
निगम के इसी ढीले रवैए के चलते घोटालेबाजों के हौसले बुलंद हैं। उन्हें
यह भरोसा है कि कागज़ी कार्रवाई में वर्षों लग जाते हैं और वे आसानी से
बच निकलते हैं। यह स्थिति न सिर्फ पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है,
बल्कि आमजन का भरोसा भी प्रशासन पर डगमगाता है।
कांग्रेस ने मेयर से मांगा 238 करोड़ का हिसाब:
नगर निगम की मंगलवार सुबह हुई हाउस मीटिंग एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़
गई। बैठक की शुरुआत से ही कांग्रेस पार्षदों ने मेयर हरप्रीत कौर बबला के
खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनकी कुर्सी के पास प्रदर्शन किया। सभी कांग्रेस
पार्षद हाथों में बैनर लेकर पहुंचे थे, जिन पर लिखा था भारतीय झूठी
पार्टी । सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी और कांग्रेस पार्षद
गुरप्रीत सिंह ने प्रशासन से निगम को मिले 238 करोड़ रुपये के खर्च का
ब्योरा मांगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पारदर्शिता के अभाव में जनता के
पैसे का दुरुपयोग हो रहा है। हाउस मीटिंग में कुल 9 एजेंडों पर चर्चा
होनी थी। विपक्षी पार्षदों का कहना है कि भाजपा शासित नगर निगम जनहित के
मुद्दों से ध्यान भटकाकर केवल सत्ता का दुरुपयोग कर रहा है। कांग्रेस ने
आरोप लगाया कि विकास कार्य ठप पड़े हैं और जनता को मूलभूत सुविधाएं भी
नहीं मिल पा रही हैं।