हरियाणा के यमुनानगर जिले में एक निजी अस्पताल की महिला डॉक्टर की घोर लापरवाही सामने आई है। आरोप है कि सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने महिला मरीज के पेट में सर्जिकल पट्टी (स्पंज) छोड़ दी, जिससे महिला की तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। यह मामला 12 मार्च 2025 का है, जब बीबीपुर निवासी ओसामा अपनी गर्भवती पत्नी मेहर खातून को डिलीवरी के लिए छछरौली रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराए थे। ऑपरेशन के जरिए मेहर ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
डिलीवरी के कुछ दिन बाद ही महिला के पेट में लगातार दर्द शुरू हो गया। परेशान होकर ओसामा अपनी पत्नी को यमुनानगर के कई अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर जांच के लिए ले गया, लेकिन हर जगह उसे रिपोर्ट “नॉर्मल” बताई गई। ओसामा का आरोप है कि इन अल्ट्रासाउंड केंद्रों के संचालकों ने महिला डॉक्टर से मिलीभगत कर झूठी रिपोर्ट दी। जब हालात और बिगड़े, तो परिवार ने पंचकूला के एक निजी अस्पताल में इलाज कराया। वहां जांच के दौरान डॉक्टरों ने महिला के पेट से सर्जिकल पट्टी निकाली। यहीं पर असली लापरवाही का खुलासा हुआ।
इसके बाद पीड़ित परिवार ने पूरे मामले की शिकायत यमुनानगर के डीसी को दी और महिला डॉक्टर, उसके पति जो उप सिविल सर्जन हैं, और तीन अल्ट्रासाउंड संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पीड़ित पक्ष ने डीसी को ज्ञापन सौंपा, जिसके बाद डीसी ने जांच के लिए एक कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया है। जब मीडिया ने आरोपी महिला डॉक्टर से संपर्क किया, तो उन्होंने जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि वे अपना पक्ष कोर्ट या प्रशासन के सामने रखेंगी।
यह मामला न केवल डॉक्टर की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि मेडिकल सिस्टम में भ्रष्टाचार और मिलीभगत के गंभीर सवाल भी खड़े करता है। पीड़िता को समय पर सही इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी जान भी जोखिम में पड़ सकती थी। प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।