हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में एक दर्दनाक हादसा सामने आया है, जहां एक पर्यटक की ऊंचाई वाले इलाके में ऑक्सीजन की कमी के चलते जान चली गई। मृतक की पहचान पंजाब के पटियाला निवासी वरिंदरजीत पंधेर (54 वर्ष) के रूप में हुई है, जो अपनी पत्नी और बेटी के साथ हिमाचल घूमने आए थे।
जानकारी के अनुसार, पंधेर परिवार 28 मई को लेह की यात्रा पर निकला था। मनाली में रात बिताने के बाद वे लेह की ओर रवाना हुए और पांग नामक स्थान पर रुके। वापसी के दौरान 1 जून को जब वे दारचा पहुंचे तो वरिंदरजीत की तबीयत बिगड़ने लगी। ऑक्सीजन की कमी के चलते उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी।
दारचा में प्राथमिक उपचार देने के बाद उन्हें केलांग के लिए रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। उनकी पत्नी गुरप्रीत पंधेर ही गाड़ी चला रही थीं। बताया गया कि वरिंदरजीत पहले से भी थोड़ी तबीयत खराब महसूस कर रहे थे, लेकिन दारचा पहुंचते ही हालत ज्यादा बिगड़ गई।
दारचा समुद्र तल से 11,023 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से काफी कम होता है, जिससे पर्यटकों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इन इलाकों में अभी भी बर्फ की मौजूदगी के कारण वातावरण में ऑक्सीजन की कमी बनी रहती है।
प्रशासन ने चेतावनी दी है कि ऐसे क्षेत्रों में यात्रा करने वाले पर्यटक ऑक्सीजन सिलेंडर, प्राथमिक उपचार किट और भरपूर पानी साथ रखें। खासकर जिन्हें सांस की दिक्कत है, उन्हें दारचा से आगे यात्रा नहीं करनी चाहिए। दारचा और उसके आसपास के क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं मिलता, जिससे इमरजेंसी में मदद पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।
इस मामले में जब इमरजेंसी सेवाओं की बात NHAI अधिकारियों से की गई, तो उन्होंने साफ किया कि मनाली-लेह नेशनल हाईवे उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यह हाईवे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के अधीन है, और इस पर इमरजेंसी सेवाओं की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होती है।
यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यात्रा करने से पहले पूरी तैयारी और सतर्कता जरूरी है। थोड़ी सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है।