Thursday, August 14, 2025

पंजाब में नशा तस्करों पर सख्ती: जेल से छूटने के बाद पैरों में लगेगी GPS एंकलेट, हर कदम पर पुलिस की नजर

पंजाब में नशे के खिलाफ अभियान को और सख्त करने के लिए अब राज्य सरकार एक नई योजना शुरू करने जा रही है। इसके तहत, जो बड़े नशा तस्कर जेल से बाहर आएंगे, उनके पैरों में जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस (एंकलेट) लगाई जाएगी। इससे पुलिस उनकी हर गतिविधि पर नजर रख सकेगी।

पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि यह योजना अमेरिका और कनाडा जैसे देशों की तर्ज पर शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भी आतंकियों और गंभीर अपराधियों के लिए यह प्रणाली अपनाई जा चुकी है। अब पंजाब में इसे नशा तस्करों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा।

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डीजीपी ने कहा कि जब कोई आरोपी जमानत पर जेल से बाहर आता है तो उसके ऊपर कई शर्तें लगती हैं। लेकिन अभी तक उनकी निगरानी प्रभावी तरीके से नहीं हो पाती थी। अब जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस से पुलिस को यह पता चलता रहेगा कि वह कहां जा रहा है और क्या कर रहा है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह तकनीक कोर्ट की अनुमति से ही इस्तेमाल की जाएगी और इसमें किसी के मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। अगर कोई इस डिवाइस को हटाने या तोड़ने की कोशिश करेगा, तो तुरंत पुलिस को अलर्ट मिल जाएगा।

जेलों में भी नशा तस्करी पर सख्ती
डीजीपी ने बताया कि पंजाब की जेलों को 500 करोड़ रुपये की लागत से अपग्रेड किया जा रहा है। इसके साथ ही जेलों में नशे की तस्करी को रोकने के लिए अब तक 250 से ज्यादा FIR दर्ज की जा चुकी हैं। इन मामलों में जेल अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जांच हो रही है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि जो कर्मचारी या अधिकारी जेलों में नशा फैलाने में शामिल हैं, उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

ड्रग यूजर्स को मिलेगा पुलिस अफसरों का सहारा
पंजाब पुलिस एक और नई पहल शुरू कर रही है, जिसमें पुलिस अफसर एक-एक नशा करने वाले व्यक्ति को ‘अडॉप्ट’ करेंगे। उन्हें नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा और सामान्य जीवन में वापस लाने की कोशिश की जाएगी।

इस योजना का नाम “इच वन अडॉप्ट वन” रखा गया है। डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि वे खुद इस मुहिम में हिस्सा लेंगे और सभी अधिकारियों से भी ऐसा करने की अपील की है।

गांवों में नशा खत्म करने पर भी काम जारी
जहां-जहां पंचायतों ने नशा विरोधी प्रस्ताव पास किए हैं, वहां पर यह जांच की जाएगी कि वास्तव में नशा खत्म हुआ है या नहीं। इसके लिए स्थानीय बीडीसी सदस्यों और पंचायत प्रतिनिधियों से बातचीत कर जानकारी जुटाई जाएगी कि नशा कहां से आ रहा है और कौन लोग इसमें शामिल हैं। यह योजना न केवल तस्करों पर निगरानी के लिए है, बल्कि नशे के शिकार लोगों को वापस सामान्य जीवन देने की ओर भी एक बड़ा कदम है।

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