लुधियाना में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहाँ पंजाब पुलिस के एक एएसआई (सहायक उप निरीक्षक) ने शराब के नशे में अपने दो साथियों के साथ मिलकर एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को छुपाने की कोशिश करते हुए उसे कार में डालकर मोरिंडा की नहर में फेंक दिया गया। जब युवक के परिवार ने शिकायत की, तब पुलिस की सख्ती से पूछताछ में यह चौंकाने वाला सच सामने आया। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
घटना का पूरा विवरण:
यह घटना 16 अप्रैल की है। एडीसीपी (अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस) मनदीप सिंह के अनुसार, मृतक युवक की पहचान गुरजिंदर सिंह उर्फ ‘गोरा’ के रूप में हुई है। उस दिन गोरा, एएसआई बुआ सिंह और उसके दो दोस्त सुखविंदर सिंह उर्फ ‘गगन’ और अविंदरपाल सिंह उर्फ ‘बंटी’ के साथ थे। चारों ने एक साथ बैठकर शराब पी थी।
शराब पीते समय तीनों दोस्त आपस में मजाक कर रहे थे, तभी बंटी ने एएसआई बुआ सिंह की निजी रिवॉल्वर उठाकर हंसी-मजाक में गोली चला दी। दुर्भाग्यवश वह गोली सीधे गुरजिंदर सिंह को जा लगी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हत्या के बाद आरोपियों को जब होश आया, तो वे घबरा गए। उन्होंने गुरजिंदर के शव को अपनी कार में डाला और लुधियाना से लगभग 60 किलोमीटर दूर मोरिंडा नहर में फेंक दिया, ताकि सबूत मिटाया जा सके।
शव को पहचानने में हुई देरी:
जब गुरजिंदर घर नहीं लौटा तो उसकी माँ ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की और गुरजिंदर के दोस्तों की भूमिका पर संदेह जताया, तो पता चला कि वह आखिरी बार एएसआई बुआ सिंह और उसके दोस्तों के साथ कार में गया था।
इसी बीच मोरिंडा पुलिस को नहर से एक अज्ञात शव मिला, जिसका पोस्टमॉर्टम करवाकर अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था। जब लुधियाना पुलिस ने लापता युवक की फोटो वायरल की, तो मोरिंडा पुलिस ने मृतक की तस्वीर मिलान करके पुष्टि की कि शव गुरजिंदर का ही था।
पूछताछ में खुला सच:
गुरजिंदर की माँ के बयान और तकनीकी सबूतों के आधार पर पुलिस ने एएसआई बुआ सिंह को हिरासत में लिया। सख्ती से पूछताछ करने पर उसने सच कबूल कर लिया। बाद में गगन और बंटी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
तीनों के खिलाफ हत्या और सबूत मिटाने के गंभीर आरोप दर्ज किए गए हैं। कार की फॉरेंसिक जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि अपराध में और कौन-कौन शामिल था।
पुलिस का बयान:
एडीसीपी मनदीप सिंह ने बताया कि आरोपियों की सबसे बड़ी गलती यह थी कि उन्होंने हादसे की सूचना पुलिस को नहीं दी, बल्कि शव को छुपाने की कोशिश की। यह स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है और इसकी कड़ी सजा होनी चाहिए।यह घटना इस बात की दुखद मिसाल है कि नशे और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कैसे एक मासूम की जान ले सकते हैं। एक पुलिस अधिकारी द्वारा ऐसी हरकत का सामने आना न केवल दुखद है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि ऐसे अधिकारियों पर निगरानी कितनी जरूरी है।